कविता
गांवों की पगडंडियों में,
नदी - नालों की कल - कल ध्वनियों में।
पर्वत - जंगल की झूमती टहनियों में
मरू में खद वृंद भी शब्द बोलते हैं॥
ज्ञानी विज्ञानियों की कण्ठों में
कविता गीतों के रस बंधों में।
वेद, पुराण, गीता के स्वर छन्दों में
मधुमय ताल लिए शब्द बोलते हैं॥
क्षेत्र, भाषा, बोली पहचान लिए
संस्कृतियों के विविध निशान लिए।
आस्थाओं के प्रचुर प्रमाण लिए
बन भावों का मन मयूर शब्द बोलते हैं॥
ईश्वर, अल्लाह,प्रभु ईसा से निकले
सूर, तुलसी,कबीर वाणी से फिसले।
गांधी, गौतम, नानक के समभाव मिले
सत्य, शांति के पथ में शब्द बोलते हैं॥
ले ल अपना प्रेमाधिकार
करो किसी से न दुत्कार।
मानव मन से सब करे पुकार
एकता, समरसता में ही शब्द बोलते हैं॥
भेद भाव को सभी भुलाने
प्रेम पराग मन में फैलाने
देश धर्म पर एक हो जाने
नवचेतनाओं में शब्द बोलते हैं॥
पता - स्मृति कुटीर,
- डिहुर राम निर्वाण '' प्रतप्त ''

नदी - नालों की कल - कल ध्वनियों में।
पर्वत - जंगल की झूमती टहनियों में
मरू में खद वृंद भी शब्द बोलते हैं॥
ज्ञानी विज्ञानियों की कण्ठों में
कविता गीतों के रस बंधों में।
वेद, पुराण, गीता के स्वर छन्दों में
मधुमय ताल लिए शब्द बोलते हैं॥
क्षेत्र, भाषा, बोली पहचान लिए
संस्कृतियों के विविध निशान लिए।
आस्थाओं के प्रचुर प्रमाण लिए
बन भावों का मन मयूर शब्द बोलते हैं॥
ईश्वर, अल्लाह,प्रभु ईसा से निकले
सूर, तुलसी,कबीर वाणी से फिसले।
गांधी, गौतम, नानक के समभाव मिले
सत्य, शांति के पथ में शब्द बोलते हैं॥
ले ल अपना प्रेमाधिकार
करो किसी से न दुत्कार।
मानव मन से सब करे पुकार
एकता, समरसता में ही शब्द बोलते हैं॥
भेद भाव को सभी भुलाने
प्रेम पराग मन में फैलाने
देश धर्म पर एक हो जाने
नवचेतनाओं में शब्द बोलते हैं॥
पता - स्मृति कुटीर,
भैसमुण्डी, पो- मगरलोड, व्हाया - कुरूद
जिला - धमतरी ( छग.)
जिला - धमतरी ( छग.)
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