- भावसिंह हिरवानी

मैंने सहमति से सिर हिलाते हुए कहा - सच कहते हैं मा.सा.। पता नहीं आज की पीढ़ी को क्या हो गया है ? अब उज्जैन महाविद्यालय की घटना को ही देख लीजिए न। छात्रों ने अपने ही प्राध्यापक को पीट - पीट कर मार डाला और वजह भी क्या थी - उन्होंने छात्र संघ का चुनाव स्थगित कर दिया था, बस।
- यही तो मैं कह रहा हूं। एक जमाना था जब गुरू को सारे देवताओं से श्रेष्ठï पद की प्रतिष्ठïा मिली हुई थी। लेकिन आज हमारी क्या स्थिति है, आप स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं।
मैंने एक दीर्घ सांस लेकर कहा - लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है मा. सा.। जरा सोचिए, अपने बच्चों को विद्यालय क्यों भेजते हैं। इसीलिए न कि वे वहां से एक सभ्य, सुशिक्षित इंसान और योग्य नागरिक बनकर निकलेंगे और देश तथा समाज की सेवा करेंगे। लेकिन यह कैसी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं आप लोग, जो आपका ही सम्मान नहीं करती। बच्चे को अच्छे संस्कार देने की जिम्मेदारी तो आप गुरूजनों की है न ?
मेरी बातें सुनकर हरीश मा. सा. एक क्षण के लिए निरूत्तर हो गए। तभी कैशियर अपनी सीट पर आकर बैठ गया और बोला - मा. सा. आईये। कम्प्यूटर की खराबी के कारण आप लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान होना पड़ा।
हरीश मा. सा. झट से काउन्टर की ओर लपके, लेकिन उनका चेहरा अब भी खीझ से भरा हुआ था।
- पता - कबीर प्रिंटिंग प्रेस, गुरूर, जिला - दुर्ग ( छग )
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