- शरद शर्मा -
बाढ़त बेटी अऊ छटकत धान
धियान देके, देखे ला - राखे ला परथे
तभे बॉंचथे भइया, आदमी के
इज्जत अऊ परान
चोरहा - ढोरहा मन,ताकत - झांकत रहिथे
बेटी के बाप, अऊ किसान
दुनों के दशा ला एक्केच जान,
जऊन करहीं इंखर,देख - रेख म कोताही
ऊंखर हो जाही,मरे बिहान
खेत म कीरा, अऊ घर म टी.वी.
दुनो कोती के फसल मन,होवत हावंय बरबाद
चाहे कतको पढ़ाओ अऊ कतको डारव खाद
देश - परिवार के संसकिरती हा,होवत हावय विदेशी
अऊ खेत - खार म,चराय ल परत हे मवेशी
टी.वी. चैनल मन म,लाज - सरम नइ चलय,
अऊ घर म सियान के ,सियानी नइ चलय
महिनत कर - करके,मरत हे किसान
अऊ कनवा - भइरा होगे हावंय,घर - घर के सियान
- पता - ब्राम्हा्ण पारा, राजिम, जिला - रायपुर [छ.ग.]
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