- कृष्णा श्रीवास्तव 'गुरुजी'

भर लेना चाहता हूं
सारी रश्मियां
आंखों में
तुम्हारा तेज .....
सूरज
कर सकूं
आलोकित,पथ
तपस को फाड़
दे सकूं नव संदेश
कथित स्वर्ग के लिए
सूरज
मैं सोचता हूं
क्या होगा उनका
जो तोड़ते हैं अनुबंध
भरते हैं दम
कृत्रिम ऊर्जा से .....
सूरज
लूट कर भी
भरा है कटोरा
क्षणिक व्यवधान
खत्म नहीं करती .... जिन्दगी
चमकता है कनक तपकर ...
सूरज
मेरे अंदर
संचारित रक्त
लिखेगी नया इतिहास
शाश्वत ... निरंतर
बहुत कुछ मिल रहा है .... तुमसे
सूरज
- संकल्प, दिग्विजय कालेज रोड, जमातपारा, राजनांदगांव (छग.)
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