- बिहारी साहू

सावन भादो राँय - राँय, करे हस किसानी।
कभु बईठ के खावस नहीं, जरगे जिनगानी॥
बड़े बिहने साँझ कन तैं खाए जुड़ बासी।
खेत - खार के पानी पिए फेर, अइस नई खाँसी॥
टुटगे पट्टी रगरा तोर पटका होगे भोंगरा।
थोकन बइठ ले ...............................॥
माड़ी भर के चिखला म दिन बुड़त ले कमाए।
कतको थक जाथस फेर गोड़ नई लमाए॥
चुटुर - चुटुर मच्छर चाबे, गिरय गजब पानी।
भुनुन - भुनुन गोड़ हाथ म, गजब झुमय मांछी॥
नांगर जोताये नंगरिहा, सुग्घर गावत हे ददरिया।
थोकन बइठ ले ..................................॥
चना चाबे कस दाँत, कटर - कटर बाजे तोरे।
नींदे धान खुमरी अऊ मनकप्पड़ ओढ़ के॥
धान डोली ल निंदत, कभू हंसिया हा सटकगे।
पांवे म केंदुवा अऊ ऐड़ी हा चटकगे॥
रुप हवे करिया फेर दिखथे गजब बढ़िया।
थोकन बइठ ले ...................................॥
- ग्राम - धारिया, तहसील - छुईखदान, जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें