- दिनेश चौहान
- सेठ, चोरी मेरे भाई ने की है। वह भी पुलिस के मुताबिक किसी दूसरे शहर में। उसके अपराध की सजा अदालत उसे सुनाएगी, पर आप मुझे किस अपराध में नौकरी से अलग कर रहे हैं ?
- अरे भाई मुझे तुमसे बहस नहीं करना है, मैं चोर के भाई को अपने यहां नौकरी में नहीं रख सकता।
मुलाजिम ने अंतिम प्रयास के रूप में एक उदाहरण और प्रस्तुत करते हुए कहा - सेठ आपको भी पता है। बनवारीलाल के बेटे ने एक खून कर दिया था, पर सरकार ने तो उसे नौकरी से अलग नहीं किया। अलबत्ता उसका बेटा जेल में सजा काट रहा है।
- तो जाओ न, सरकारी नौकरी ढूंढ लो। मेरा सिर क्यों खा रहे हो।
यह कहकर सेठ ने सिक्यूरिटी गार्ड को इशारा कर दिया कि उसे धक्का देकर बाहर कर दे। अब वह बेरोजगार मुलाजिम भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकार में अपना वजूद खोज रहा है पर वह उसे असमानता की गहरी खाई में कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।
- पता - शीतला पारा, नवापारा, राजिम (छग)
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