- ज्ञानेन्द्र साज -
लोग जो नाकाम हो करके जिए
उम्र भर बदनाम हो करके जिए
खास न बन पाये जो इस दौर मे
वह सभी बस आम होकर जिए
प्यार था लबरेज जिनके दिल में वो
प्यार में बेदाम होकर जिए
जो न जी पाये हैं अमनो - चैन से
मौत का अंजाम होकर के जिए
वोट को सीढ़ी बनाके जो चढ़े
बस वही गुलफाम होकर के जिए
ले गई उनको कहाँ तिश्नालबी
साज जो बस जाम होकर के जिए
लोग जो नाकाम हो करके जिए
उम्र भर बदनाम हो करके जिए
खास न बन पाये जो इस दौर मे
वह सभी बस आम होकर जिए
प्यार था लबरेज जिनके दिल में वो
प्यार में बेदाम होकर जिए
जो न जी पाये हैं अमनो - चैन से
मौत का अंजाम होकर के जिए
वोट को सीढ़ी बनाके जो चढ़े
बस वही गुलफाम होकर के जिए
ले गई उनको कहाँ तिश्नालबी
साज जो बस जाम होकर के जिए
- संपादक - जर्जर कश्ती, 17/212, जयगंज, अलीगढ़ [उ. प्र.]
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