- रमाकांत शर्मा -

मेरे गीतों में आओ
मेरे गीतों में आओ।
अधंकार के आंगन में
गीतों के दीप जलाओ - मेरे गीतों में आओ।
मेरे गीतों में टीस
वेदना पीड़ाये हैं
आँखों के दर्पण में
दिखती धाराएं हैं।
मन उमंग में डूब न जाये
तुम इतना समझाओं - मेरे गीतों में आओ।
जब दर्द सीढ़ियाँ चढ़ता
जीवन गीतों को पढ़ता
आह, गीतों की जननी
जगती को यही बताओं - मेरे गीतों में आओ।
जिद्दी मन कहता मुझसे
तारों को पास बुलालों
श्रम है बहुमूल्य सृजन में
गीतों में उसको ढालों।
मत पकड़ों कल - छल का आँचल
जग शान्ति मंत्र अपनाओ - मेरे गीतों में आओ।
होती विभोर जब कविता
मन नाच - नाच मुस्काता
इक तारा में गीतों को
अंधत्व विवश हो गाता।
पिपासु एक मृगछौना
मानव हो प्यास बुझाओ - मेरे गीतों में आओ।
- पता - ब्राम्हाणपारा, छुईखदान, जिला - राजनांदगांव [छ.ग.]
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