- जोगीराम वर्मा
सारे उग्रवाद को मेरे हवाले करना॥
तुम हो गये निकम्मे, ये जान सब गये हैं।
तुमको सलाह मेरी, अपनों से डरते रहना॥
तुमने है जो भी पहना, है साँप का बसेरा।
मेरी कहा को मानो, आस्तीनहीन ही रहना॥
कुर्सी के दौर में तूने, ईमान बेच डाला।
मेरे लिए भी थोड़ा ईमान बचाए रखना॥
तूने ही तो बढ़ाया, इन उग्रवादियों को।
भाया तो कत्ले आम का, लहू ही लखते रहना॥
तूने तो हिफाजत के, वादे किये थे झूठे।
मुझको कभी न भाया, तेरी अश्क का बहना॥
गर मिट सके मिटा दे, इन उग्रवादियों को।
सुख - शांति के चमन को, सुख से संजोये रखना॥
- ग्राम - कुटेला भाठा, जिला - दुर्ग(छ.ग.)
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