- आचार्य सरोज व्दिवेदी
तोर सेती हम भांचा मन ला,देवता कहिथन भांचा राम॥
मैं कौशल्या के भाई औं,अउ शबरी के बेटा आंव
जीहां जंगल - जंगल किंजरे,तोर पांव के लेटा तांव॥
राम तोर दण्डक बन होगे,अब जगमग छत्तीसगढ़ राज
शबरी कौशल्या के भाखा,छत्तीसगढ़ी पहिरलिस ताज॥
जिंहा - जिंहा तोर पांव परे हे,माटी सोना उगलत हे
ये ला कहिथे धान कटोरा,हीरा माणिक निकलत हे॥
दुनियां के हे लाखों देवता,छत्तीसगढ़ बर राम हे
तोर दया भर बने रहै,तब दूसर ले का काम हे॥
दया मया ल राखे रइबे,जोर हाथ मनावत हौं
शबरी के बोइर के तोला,सुरता राम देवावत हौं॥
सबके नावं में लगे हे राम,सबके मुंह म बसे हे राम
सुख में दुख में राम - राम,बस छत्तीसगढ़ में राम - राम॥
दण्डक बन छत्तीसगढ़,ये शबरी के धाम
तोर दया बरसे सदा, हे शबरी के राम॥
- ज्योतिष कार्यालय,मेन रोड, तुलसीपुर, राजनांदगाव (छग)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें