- जब्बार ढ़ाँकवाला
- प्रस्तुति - कृष्णा श्रीवास्तव ' गुरूजी'
बारुद को दोस्त या दुश्मन की पहचान नहीं होती है
बारूद किसी इन्सान की निगेहबान नहीं होती हैफ़लसफ़ा चाहे कुछ भी उठाकर देख लीजिए
बारूद किसी समस्या का समाधान नहीं होती है
तय है बिच्छू की दोस्ती सांप से ही होगी
बारूद किसी मासूम पर महरबान नहीं होती है
तीखे गन्ध के आते ही बन्द कीजिए अपने दरवाजे
बारूद किसी भले घर में मेहमान नहीं होती है
फैसलाकुन होने का ढ़ोंग कितना ही रचाये
बारूद जंग का आगाज होती है अन्जाम नहीं होती
आप तो छोटी - छोटी बातों से हो जाते हैं बचैन
बारूद लाश के ढ़ेर पर भी परेशान नहीं होती है
छाया हो हर सिति अंधेरा ही अंधेरा
सूरज न निकले तो भी बारूद हैरान नहीं होती है
राख और धुंध के सैलाब में क्या ढ़ूंढ़ रहे हैं जनाब
बारूद,बारूद होती है नये मकतबे का ऐलान नहीं होती
बारूद की धमक इसराफील को ही जगाती हैं
बारूद मौत का पैगाम होती है, फज़र की अज़ान नहीं होती
आप कितने भी कशीदे पढ़िए उसकी शान में
बारूद दानिशमंदो की कद्रदान नहीं होती है
आप सुबह देखिए या शाम को
बारूद के चेहरे पर कभी मुस्कान नहीं होती
बम्बई और बस्तर सब जल रहे हैं 'जब्बार'
बारूद जलाती है सबको, खुद लहूलुहान नहीं होती
आप कितने भी कशीदे पढ़िए उसकी शान में
बारूद दानिशमंदो की कद्रदान नहीं होती है
आप सुबह देखिए या शाम को
बारूद के चेहरे पर कभी मुस्कान नहीं होती
बम्बई और बस्तर सब जल रहे हैं 'जब्बार'
बारूद जलाती है सबको, खुद लहूलुहान नहीं होती
- 11/2 शक्ति नगर, भोपाल - 2
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