- गणेश यदु
जय हो मातृभूमि मेरी, जननी जय - जय भारती ।
संतानें तेरी तुझपे, सवर्स्व निवारती ।।
जय चंदों, देशद्रोहियों, आतंकवादियों को भी माँ ।
अपने बेटों की तरह ही तू है दुलारती ।।
तेरे मन में खोट नहीं, सबके लिये समता है ।
ममता की ऐसी मूरत, है तू माँ भारती ।।
परन्तु ऐसी औलादों को, तो सोचना चाहिए ।
जो अपनों को मार कर, बहादुरी बघारती ।।
आतंक और नक्सलवाद, अलगाववाद ताकतें ।
ताकती हैं तेरी कमजोरी को माँ भारती ।।
परन्तु इन्हें नहीं पता, तेरी ओ गौरव गाथा ।
तू क्रोधित हो जाए तो, चंडी का रूप धारती ।।
सामने जो भी आ जाए, धराशायी होगा ही ।
महिषासूर सम कोटि, असूरों को पछारती ।।
मुट्ठी भर आतंकवादी, किस खेत की मूली हैं ।
सबक सिखाने का समय , आ गया माँ भारती ।।
आशीष दो हमें माँ हम, कर सकें इनका सामना ।
तेरी कामनायें पूरी कर, सकें मॉं भारती ।।
संतानें तेरी तुझपे, सवर्स्व निवारती ।।
जय चंदों, देशद्रोहियों, आतंकवादियों को भी माँ ।
अपने बेटों की तरह ही तू है दुलारती ।।
तेरे मन में खोट नहीं, सबके लिये समता है ।
ममता की ऐसी मूरत, है तू माँ भारती ।।
परन्तु ऐसी औलादों को, तो सोचना चाहिए ।
जो अपनों को मार कर, बहादुरी बघारती ।।
आतंक और नक्सलवाद, अलगाववाद ताकतें ।
ताकती हैं तेरी कमजोरी को माँ भारती ।।
परन्तु इन्हें नहीं पता, तेरी ओ गौरव गाथा ।
तू क्रोधित हो जाए तो, चंडी का रूप धारती ।।
सामने जो भी आ जाए, धराशायी होगा ही ।
महिषासूर सम कोटि, असूरों को पछारती ।।
मुट्ठी भर आतंकवादी, किस खेत की मूली हैं ।
सबक सिखाने का समय , आ गया माँ भारती ।।
आशीष दो हमें माँ हम, कर सकें इनका सामना ।
तेरी कामनायें पूरी कर, सकें मॉं भारती ।।
- संबलपुर, जिला - कांकेर (छ.ग.)
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