- जगन्नाथ डड़सेना
बसंत बिना कोइली रोवय
बसंत बिना कोइली रोवय,
रस बिना भौरा।
अडिहा बिना हॅडिया रोवय,
सुहावय नहीं कौंरा॥
दार बिना भात रोवय,
साग बिना कलौंजी।
चना बिना दांत रोवय,
नंनद बिना भऊजई॥
खइरखा बिना अहिरा रोवय
चारा बिना गरूवा।
बर बिना बिहाव रोवय,
डारा बिना मड़वा॥
तिल बिना घानी रोवय,
मऊहा बिना कलार।
मुसर बिन ढेंकी रोवय,
बारी बिना मरार॥
तेल बिना तिहार रोवय,
पानी बिना धान।
डोकरा बिना डोकरी रोवय,
मोटियारी बिना जवान॥
बसंत बिना कोइली रोवय,
रस बिना भौरा।
अडिहा बिना हॅडिया रोवय,
सुहावय नहीं कौंरा॥
दार बिना भात रोवय,
साग बिना कलौंजी।
चना बिना दांत रोवय,
नंनद बिना भऊजई॥
खइरखा बिना अहिरा रोवय
चारा बिना गरूवा।
बर बिना बिहाव रोवय,
डारा बिना मड़वा॥
तिल बिना घानी रोवय,
मऊहा बिना कलार।
मुसर बिन ढेंकी रोवय,
बारी बिना मरार॥
तेल बिना तिहार रोवय,
पानी बिना धान।
डोकरा बिना डोकरी रोवय,
मोटियारी बिना जवान॥
- ग्राम - पचरी, पो - नरतोरा,विकासखंड - महासमुन्द, जिला - महासमुन्द (छग.)
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