- राजेश जगने ' राज '
युवक के कदम उस वक्त रूक गये जब उसने देखा कि माली पौधों से गुलाबों को काटकर अलग कर रहा है. प्रत्येक पौधे पर शेष एक गुलाब रह गया अन्य सारे काट दिए.
माली को देखकर युवक को अत्यंत पीड़ा हुई, युवक माली के पास जाकर कहने लगा - ये क्या कर दिया आपने ? आपसे बहुत बड़ी भूल हुई है. फूलों की सुंदरता पौधों पर है जिसे आप भली भांति जानते हैं. एक छोटे से अंकुर को आपने अपनी मेहनत और खून पसीने से सींच कर गुलशन बनाया और आपने ही इन तमाम गुलाबों को काटा. घोर आश्चर्य ?'
माली प्रसन्न मुद्रा में युवक को देखा और बोला - श्रीमान, मुझसे भूल नहीं हुई, जो भूल हुई है उसका पश्चाताप किया है. ये जितने कटे हुए फूल दिख रहे हैं, मैंने कभी नहीं चाहा ये खिले. मेरे लाख कोशिशों के बाद भी खिल गए. इसलिए मैंने अकस्मात खिले गुलाबों को पौधों से अलग किया. जिसके खिलने न खिलने का कोई मतलब नहीं. प्रयोजन पर खिले गुलाब ही शेष हैं, अब प्रकृति की तमाम ऊर्जा इन शेष गुलाबों को मिलेगी, आकार, विस्तार और आकषर्क बढ़ेगा.
श्रीमान फूल जगत और मानव जगत में आज यही अंतर है. एक पौधा और फूल अनेक.क्योंकि वहां फूलों को परखने वाला पारखी माली नहीं है. इंसानों के पेड़ में इंसानियत क्यों नहीं खिलती ? फूल आज भी खिल रह हैं, बिना उद्देश्य के, बिना प्रयोजन के जिनके खिलने न खिलने का कोई अर्थ नहीं. अगर मानव जगत में मुझ जैसा माली होता तो वे फूल गौतम, गांधी, अम्बेडकर ऐसे खिलते. एक होता पर नेक होता.
- सोला खोली,स्टेशनपारा,वार्ड क्र.- 11,नागपुरे साँ मिल के पास,राजनांदगांव (छ.ग.)
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