- अशोक सेमसन
शाहे जहां का होकर भी, सायल हुआ है तू
असलियत तो कुछ और है, डायल हुआ है तू।
रंगों आब रखकर भी, न आकृष्ट किसी को कर सका।
फिर भी सिर्फ एक के सामने, गायब हुआ है तू।
बाजुए - वजूद का है खंजर, तो तेरे पास,
तेरी ही है ख्याल, कि घायल हुआ है तू।
चाहकर भी जमाने को, वश में न तू कर सका,
फिर भी उस नूरे - नजर का, कायल हुआ है तू।
टाईम को तू सोचता है, मैंने खरीद लिया,
फिर भी उस टाईम के खौफ से, जायल हुआ है तू।
एक दिन दीदारे चार हो जायेगा, तुझको क्या मालूम,
' सेमसन ' बन पर्दा अपनी वस्ल में, हायल हुआ है तू।
- रूतविला, प्लाट ए - 1 बी, आशीष नगर पश्चिमी, रिसाली, एकता बाल उद्यान के सामने, भिलाई [ छ.ग. ]
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