- ज्ञानेन्द्र साज
जैसे मुमकिन नहीं हाथों में हवा का होना
युं ही सम्भव नहीं शैतां में खुदा का होना
आदमी आदमी है फितरतों का आदि है
इससे उम्मीद नहीं अहले वफा का होना
दुआ न जिसके लिए काम कर सकी उसको
बेसबब होता दवाओं से शिका का होना
बहुत जरुरी है हर काम करने से पहले
सलामती के लिए माँ की दुआ का होना
प्यार लौटा है सदा हार का ऐ साज सुनो
इसमें मुमकिन नहीं है जीत - नफा का होना
युं ही सम्भव नहीं शैतां में खुदा का होना
आदमी आदमी है फितरतों का आदि है
इससे उम्मीद नहीं अहले वफा का होना
दुआ न जिसके लिए काम कर सकी उसको
बेसबब होता दवाओं से शिका का होना
बहुत जरुरी है हर काम करने से पहले
सलामती के लिए माँ की दुआ का होना
प्यार लौटा है सदा हार का ऐ साज सुनो
इसमें मुमकिन नहीं है जीत - नफा का होना
- पता - संपादक जर्जर कश्ती, 17 एच 212 जयगंज, अलीगढ़
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