- रमाकांत शर्मा
मिट्टी में ही जाना होगा।
मिट्टी परम पूज्य वंदित है।
सबको भाल लगाना होगा।
मिट्टी से धन धान्य उपजता,
मिट्टी हीरा सोना है।
मिट्टी की महिमा अतुलित है,
मिट्टी मधुर सलोना है।
सूर्यचन्द्र सबसे पहले ही,
मिट्टी का करते वन्दन,
मुस्काते हैं चुपके - चुपके,
आनंदित हो मिट्टी के कण।
संकट में रक्षा करती है,
देती है दौलत अनमोल।
मिट्टी की महिमा बिखरी है,
देखो अपनी आँखें खोल।
मिट्टी की साथी मेहनत है,
जिस पर गौरव इठलाता।
दूर किसी झुरमुट से कोई,
चरवाहा महिमा गाता।
ये विशाल वन वृक्ष हमारे,
मिट्टी के वरदान हैं।
इसीलिए मिट्टी जगती में,
सबसे श्रेष्ठ महान है।
मिट्टी तन है मिट्टी मन है,
मिट्टी धन है अपरम्पार।
मिट्टी ही सबका करती है,
स्वागत में उत्तम उद्धार।
- छुईखदान, जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें