- जितेन्द्र कुमार साहू ' सुकुमार'
पत्थर से दिल लगा के, हम पत्थर सा हो रहे हैं॥
हमने गुजारा जीवन, तेरी बेवफाई में।
हर एक पल कटती रही, तन्हाई में॥
नींद मेरी आँखों से उड़ी, वो चैन से सो रहे हैं।
पत्थर से दिल लगाके, हम पत्थर से हो रहे हैं॥
मारी उसने मेरी चाहत को ठोकर।
क्या मिला उसको मुझसे जुदा होकर॥
सावन की तरह खुद को अश्कों से भींगों रहे हैं।
पत्थर से दिल लगाके, हम पत्थर से हो रहे हैं॥
खोये - खोये रहते हैं अक्सर ख्यालों में।
अब चैन नहीं आये, इश्क के सवालों में॥
मेरी हो न पाई, पाने से पहले खो रहे हैं।
पत्थर से दिल लगाके, हम पत्थर से हो रहे हैं॥
काश, मेरा दिल पत्थर का बना होता।
धड़कता नहीं सीने में, न दर्दों से सना होता॥
जिससे प्यार किया, वो बेवफा हो रहे हैं।
पत्थर से दिल लगाके हम पत्थर से हो रहे हैं॥
- चौबे बांधा राजिम जिला - रायपुर ( छग )
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