उन्हें बनना बनाना आ गया है।
कि उनका भी ज़माना आ गया है।।
नतीजा दिल हमारे हारने का,
सनम को ज़ुल्म ढाना आ गया है।
सफाई की ज़रुरत क्या उसे है,
जिसे आंसू बहाना आ गया है।
सितारे - तोड़ वादे भी सरल हैं,
बनाना गर बहाना आ गया है।
कहां परवाह फिर नाराज़गी की,
जो रुठे को मनाना आ गया है।
ग़ज़ब है नैन कजरारे कि जिनको,
दिवा सपने दिखाना आ गया है।
कभी भी मुस्कुरायेंगे कहीं भी,
उन्हें जो मुस्कुराना आ गया है।
( 2 )
कोई बात मेरे सनम की न पूछो।
करम की न पूछो सितम की न पूछो।
किसी और से बात क्या कर रहा था,
इसे लेकर उनके वहम की न पूछो।
निरभिमान करता हूं जितना समर्पण,
बृहद होते उनके अहम की न पूछो।
दिलाओ नहीं याद वादों की उनको,
कभी भूल से भी क़सम की न पूछो।
रहे वो हमेशा पराये न अपने,
कथा इस जनम उस जनम की न पूछो।
पतित प्रेम पावन में क्या पा रहा हूं,
है सौगंध तुमको धरम की न पूछो।
कि उनका भी ज़माना आ गया है।।
नतीजा दिल हमारे हारने का,
सनम को ज़ुल्म ढाना आ गया है।
सफाई की ज़रुरत क्या उसे है,
जिसे आंसू बहाना आ गया है।
सितारे - तोड़ वादे भी सरल हैं,
बनाना गर बहाना आ गया है।
कहां परवाह फिर नाराज़गी की,
जो रुठे को मनाना आ गया है।
ग़ज़ब है नैन कजरारे कि जिनको,
दिवा सपने दिखाना आ गया है।
कभी भी मुस्कुरायेंगे कहीं भी,
उन्हें जो मुस्कुराना आ गया है।
( 2 )
कोई बात मेरे सनम की न पूछो।
करम की न पूछो सितम की न पूछो।
किसी और से बात क्या कर रहा था,
इसे लेकर उनके वहम की न पूछो।
निरभिमान करता हूं जितना समर्पण,
बृहद होते उनके अहम की न पूछो।
दिलाओ नहीं याद वादों की उनको,
कभी भूल से भी क़सम की न पूछो।
रहे वो हमेशा पराये न अपने,
कथा इस जनम उस जनम की न पूछो।
पतित प्रेम पावन में क्या पा रहा हूं,
है सौगंध तुमको धरम की न पूछो।
- पता - एस2/564 सिकरौल, वाराणसी - 221002, मोबाईल - 09415295137
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