
लीलत हे सब ल मंहगई के सुरसा
हिरदे के पीरा ल बतांव ग
मोर कोन दुख ल गोठियावं ग।
घर हा लेसावथे अइसे म कइसे
आगी ल गांव के बुतांव ग।
मय अव गोड़तरिया के सपना
काकर मुड़सरिया ल जांव ग।
जम्मो लफरहा मन नेता लहुटगे
मय बइठे - बइठे पछतांव ग।
सब्बो बतियाए के लाइक निकलथे
काला में मुड़ी म चढ़ाव ग।
लीलत हे सब ल मंहगाई के सुरसा
कइसे परवार ल बचांव ग।
मय तो उजियारी के बेटा अव संगी
खोजथव सुरुज के गांव ग।
- पता - अध्यक्ष, पं. रविशंकर शुक्ल सद्भाव साहित्य समिति, राजिम, जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
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