- मुकुन्द कौशल -
कहीं लगा खुशियों के पौधे, और कहीं मुस्कानें बो जा।
बादल बनकर बरस झमाझम,सबके मन में
जहाँ मिले धरती अम्बर, वहीं क्षितिज निर्मित हो जाता,
आसमान बन जाता हूं मैं, आ तू मेरी धरती हो जा।
मिला किसी से दिया किसी को, सबका अंतिम लक्ष्य समर्थण ,
पाना चाहे अगर स्वयं को, तो अपने ही भीतर खो जा।
जग वाले निष्ठुर होते हैं, पर की पीर न समझे कोई,
लोगों का दिल क्या पिघलेगा, चाहे तू कितना भी रो जा।
हँसी ठहाकों की मण्डी में, आँसू का कुछ मोल न होगा,
अपने आँसू की बूँदों को शब्द बनाकर हार पिरो जा।
नीले पीले लाल गुलाबी, सपनों में खोयी है दुनिया,
तू भी सपने देख सकेगा, शर्त यही है पहले सो जा।
दिल के टुकड़ों को ले जाकर, सबको क्या दिखलाना कौशल,
तू चाहे तो $गज़लों में ही, टूटे दिल का दर्द समो जा।
पता - एम. आई.जी. 516, पद्मनाभपुर, दुर्ग - 491001 (छग.)
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