शत्रुघन सिंह राजपूत

रसगुल्ले की थाली है
जिसे मिले
उसकी दुनिया निराली है
वैभव बनकर कमनी बाला
नाचे उनके द्वार
प्रश्न उछालने का
तुम्हें क्या अधिकार ?
उन्होंने जनसेवक की
इमेज बनाई है
तब जाकर बेचारों ने
कुर्सी पायी है !
अरे, आजादी शराब है .. शराब
जो पीये वह मस्त रहे
जनता उनको
जनप्रतिनिधि क हे
गरीबों की हड्डियों
और मांस को चबाए
देश जिनके लिए
मांसाहारी भोजन
हो जाए !!
अरे, आजादी कुछ नहीं
नेताओं के पेट का
क्षेत्रफल है !!
बाहर कुछ
और भीतर छल है !!
आजादी
त्याग, बलिदान
लहू की कहानी
बात पुरानी
अब वह नेताओं की
औरत है
इसीलिए बेचारे
भोगरत है !
आजादी ऐश्वर्य पूर्ण त्यौहार है
सारे सुखों पर
उनका एकाधिकार है
वे रंगमहल बनाते हैं
रंगरेलियां मनाते हैं
और
देश सेवा का भजन गाते हैं !!
आजादी अब अत्याचार /
अनाचार है
नादीशाही अफसरशाही है
पहचानना मुश्किल है
कौन चोर, कौन सिपाही है !
आजादी.. झूठ है / लूट है
अन्याय है,
अव्य वस्था है
पता नहीं
कौन सी व्य वस्था है ?
अरे, आजादी उन अफसरों की
जो गद्दीदार कुसिर्यों पर
दिन - रात
गोल घूमते - घूमाते हैं
जनता का खून
जंगली शराब की तरह
पी जाते हैं
सरकारी पैसे को
जो अपने बाप का माल
समझते हैं
जन हितैषी दिखते हैं !
कागज पर सारी योजनाएं
दौड़ते हैं
कागजी पुल और बांध पर
अपनी तरक्की के गीत गाते हैं
अखबारों में
छपते
और प्रशंसा पाते हैं !
आजादी छल प्रपंच और
स्वाथर् का मंच है
स्वार्थी चमकते हैं
महकते हैं
इत्र है गुलाब है
रंग बदलता ख्वाब है !
आजादी शतरंजी चाल है !
सही लोगों का बुरा हाल है
आदर्शों ने
उल्टा लटका दिया है
पल पल
करारा झटका दिया है !!
नई नई हो गई है
नैतिक - शिक्षा
जिसका सारांश है
केवल परीक्षा !!
अरी ! आजादी तू कहां है ?
तूझे कहां कहां खोजें
या तेरा अपहरण हो गया है
कौन है वह जो कांटे ही कांटे
बो गया है ?
आजादी.. बहस हो गई है
राजप्रासादों में
ठहर गई है !
या गगनचुंबी
ईमारते उसे भा गई है ?
मेहनतकश
रोज अपनी
अतड़ियां बेलता है
अपने सपनो से खेलता है
और राजनीति सकर्स दिखाती है
तालियां बजवाती है
आओ
अब आजादी को खोजें
और अपनी
यात्राएं
नए सिरे से शुरू करें ।
एच /1 कैलाश नगर, राजनांदगांव (छग.)
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