डां. नथमल झँवर
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में
उदीप्त उमँगे पाने की
ला दी थी मुझे किनारे पर
आशाओं के था पुल बाँधे
केवल एक सहारे पर
मैंने पाया था उनमें ही
सारे जीवन का नवजीवन
शायद यह देन प्रकृति की थी
या पागल था अपना यौवन
पाया था मैंने जग सारा
केवल उनकी बाहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
वह पूनम हुई अमावस्या
रजनी ओढ़ी काली चादर
पावस बूंदें भी सुलग रही
नैना बरसे जैसे बादर
साँसों का हर कंपन्न कहता
यूं कब तक तुम तड़फाओगी
मेरी दुनिया तो उजड़ चुकी
क्या तनिक न वापस आओगी
अब बचा है क्या बाकी कह दो
इन सिसकी भरती आहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
मेरी अतृप्त निगाहों को
बस एक झलक ही मिल जाये
मैं फिर से देखूँ जी भरकर
बस एक पलक ही मिल जाये
ये नयन - नयन से कह देंगी
वह अनबोली दिल की भाषा
मेरे प्रियतम ना तड़फाओ
पूरी कर दो अब अभिलाषा
पर सब मृगतृष्णा की नाई
लगते हैं मुझे निगाहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
झँवर निवास, मेन रोड सिमगा
जिला - रायपुर
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में
उदीप्त उमँगे पाने की
ला दी थी मुझे किनारे पर
आशाओं के था पुल बाँधे
केवल एक सहारे पर
मैंने पाया था उनमें ही
सारे जीवन का नवजीवन
शायद यह देन प्रकृति की थी
या पागल था अपना यौवन
पाया था मैंने जग सारा
केवल उनकी बाहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
वह पूनम हुई अमावस्या
रजनी ओढ़ी काली चादर
पावस बूंदें भी सुलग रही
नैना बरसे जैसे बादर
साँसों का हर कंपन्न कहता
यूं कब तक तुम तड़फाओगी
मेरी दुनिया तो उजड़ चुकी
क्या तनिक न वापस आओगी
अब बचा है क्या बाकी कह दो
इन सिसकी भरती आहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
मेरी अतृप्त निगाहों को
बस एक झलक ही मिल जाये
मैं फिर से देखूँ जी भरकर
बस एक पलक ही मिल जाये
ये नयन - नयन से कह देंगी
वह अनबोली दिल की भाषा
मेरे प्रियतम ना तड़फाओ
पूरी कर दो अब अभिलाषा
पर सब मृगतृष्णा की नाई
लगते हैं मुझे निगाहों में
सपने सारे टूट गये, मैं खड़ा अकेला राहों में।
झँवर निवास, मेन रोड सिमगा
जिला - रायपुर
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