हरप्रसाद ' निडर '
शकरकंद म शक्कर अस, छत्तीसगढ़ के गोठ।
बांस भोजली भड़ौनी, गीत ददरिया पोठ॥
गीत ददरिया पोठ, मिठाथे ठोली - बोली।
सबे जगा सुन ले, का घर का बहरा डोली॥
कहे निडर कबिराय, छत्तीसगढ़ी सुखकंद।
सब कांदा के बड़े ददा जइसे शकरकंद॥
छत्तीसगढ़ ह उगलत हे, चना मटर भरपूर।
हीरवा बटरा बटरी, गजामून्ग मसूर॥
गजामून्ग मसूर, तेल सरसो अरसी के।
किसिम किसिम के दार, रहर बेल्या उरदी के॥
कहे निडर कबिराय, अकरी तिवरा अड़बड़।
महर - महर बगराय, दुनिया ले छत्तीसगढ़॥
खदान के छोटे बड़े, खनिज इहां भंडार।
जाल मेकरा कोइला, सोन गड़े गंगार॥
सोन गड़े गंगार, सिल्वर पथरा के आरा।
लोहा पीतल कांस, भरे हे अभरक पारा॥
कहे निडर कबिराय, रजत रंग छुही चटान।
कुधरा जघा - जघा म, मिल जाही मुरूम खदान॥
बांस भोजली भड़ौनी, गीत ददरिया पोठ॥
गीत ददरिया पोठ, मिठाथे ठोली - बोली।
सबे जगा सुन ले, का घर का बहरा डोली॥
कहे निडर कबिराय, छत्तीसगढ़ी सुखकंद।
सब कांदा के बड़े ददा जइसे शकरकंद॥
छत्तीसगढ़ ह उगलत हे, चना मटर भरपूर।
हीरवा बटरा बटरी, गजामून्ग मसूर॥
गजामून्ग मसूर, तेल सरसो अरसी के।
किसिम किसिम के दार, रहर बेल्या उरदी के॥
कहे निडर कबिराय, अकरी तिवरा अड़बड़।
महर - महर बगराय, दुनिया ले छत्तीसगढ़॥
खदान के छोटे बड़े, खनिज इहां भंडार।
जाल मेकरा कोइला, सोन गड़े गंगार॥
सोन गड़े गंगार, सिल्वर पथरा के आरा।
लोहा पीतल कांस, भरे हे अभरक पारा॥
कहे निडर कबिराय, रजत रंग छुही चटान।
कुधरा जघा - जघा म, मिल जाही मुरूम खदान॥
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