जीवन य दु
जीय त - जागत मनखे बर जे, धरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
जेकर चेथी मं जूड़ा कस , माढ़े रथे गुलामी ,
जेन जोहारे बइरी मन ल, घोलंड के लामा - लामी,
नाँव ले जादा जग मं ओकर, होथे गा बदनामी,
अइसन मनखे के जिनगी, बेसरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
लहू के नदिया तउँर निकलथे, बीर ह जतके बेरा,
बेर निकलथे मेट के करिया बादर वाला घेरा,
तभे उसलथे उजियारी ले अंधियारी के डेरा,
सबो परानी बर आजादी, करम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
जेला नइ हे आजादी के, एकोकनी चि न्हारी,
पर के कोठा के बइला मन च रथँय ओकर बारी,
आजादी के बासी आगू बिरथा सोनहा थारी,
सोन के पिंêरा मं आजादी, भरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
माढ़े पानी ह नइ गावय , खल - भल - खल - भल गाना,
बिना नहर उपजाय न बाँधा, खेत मं एको दाना ,
अपन गोड़ के बंधना छोरय , ओला मिलय ठिकाना,
आजादी ह सब बिकास के, मरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?( जुद्ध अउ प्रेम के संदभर् में )
धरती कस सुन्दर हस तँय ह संगवारी,
आने सुन्दरता ह लागय लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के छाती ह बम ले कुच रागे ।
मनखे के भीतर जब जागिस जिनावर,
माँस के पहाड़ खोजयँ, लहू के चि तावर,
हो गे भसान सही गाँव - देस - बस्ती,
मन मं कइसे गहसे परसा अउ गस्ती ?
महमहाये तन - मन तोर, जइसे फुलवारी,
साँस ह लगे तोर बिन मोला लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आ गे ?
फूल - पान रूख - राई, जम्मो झंवा गे ।
चारों खँुट घटाघोप, छा गे अउ सनाका,
बरसे गोला - गोली, धाँय - धुम - धनाका,
लहू ह बोहावत हे, पानी कस रेला,
मनखे के कीमत, जस कौड़ी अधेला,
तन हरिय र, मन हरिय र, उम्मर मोटियारी,
धान के नवा खेत लागय लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आ गे ?
धनहा डोली बिन बियासे लुवागे ।
हो कोनो रूसी - चीनी अउ इराकी,
धरती के नाता ले मोर कका - काकी,
जुद्ध म मरय कोनो मनखेच ह मरथेे,
कोनो घर भसके, मोर भिथिया ओदरथे,
बोली गुलाल, तोर हाँसी पिच कारी,
इन्द्रधनुस रंग लगय जुच्छा लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के धुँगिया ले बादर करिया गे ।
बरपेली झगरा अउ जुद्ध खेल हो गे ।
पिकरी कस झगरा ह आज बेल हो गे ।
देस आने - आने पन धरती हे एके ।
मया के मयारू दू खंभा मं टेके ।
देखे हवँ जब ले तोर अँगना - दुवारी,
लागय सरग तब ले मोला लबारी -
कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के फोटू के कोनहा चि रागे ।
गीतिका, दाऊच ौरा
खैरागढ़ (छ.ग.)
जीय त - जागत मनखे बर जे, धरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
जेकर चेथी मं जूड़ा कस , माढ़े रथे गुलामी ,
जेन जोहारे बइरी मन ल, घोलंड के लामा - लामी,
नाँव ले जादा जग मं ओकर, होथे गा बदनामी,
अइसन मनखे के जिनगी, बेसरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
लहू के नदिया तउँर निकलथे, बीर ह जतके बेरा,
बेर निकलथे मेट के करिया बादर वाला घेरा,
तभे उसलथे उजियारी ले अंधियारी के डेरा,
सबो परानी बर आजादी, करम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
जेला नइ हे आजादी के, एकोकनी चि न्हारी,
पर के कोठा के बइला मन च रथँय ओकर बारी,
आजादी के बासी आगू बिरथा सोनहा थारी,
सोन के पिंêरा मं आजादी, भरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
माढ़े पानी ह नइ गावय , खल - भल - खल - भल गाना,
बिना नहर उपजाय न बाँधा, खेत मं एको दाना ,
अपन गोड़ के बंधना छोरय , ओला मिलय ठिकाना,
आजादी ह सब बिकास के, मरम बरोबर होथय ।
एक साँस आजादी के सौ - जनम बरोबर होथय ।
कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?( जुद्ध अउ प्रेम के संदभर् में )
धरती कस सुन्दर हस तँय ह संगवारी,
आने सुन्दरता ह लागय लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के छाती ह बम ले कुच रागे ।
मनखे के भीतर जब जागिस जिनावर,
माँस के पहाड़ खोजयँ, लहू के चि तावर,
हो गे भसान सही गाँव - देस - बस्ती,
मन मं कइसे गहसे परसा अउ गस्ती ?
महमहाये तन - मन तोर, जइसे फुलवारी,
साँस ह लगे तोर बिन मोला लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आ गे ?
फूल - पान रूख - राई, जम्मो झंवा गे ।
चारों खँुट घटाघोप, छा गे अउ सनाका,
बरसे गोला - गोली, धाँय - धुम - धनाका,
लहू ह बोहावत हे, पानी कस रेला,
मनखे के कीमत, जस कौड़ी अधेला,
तन हरिय र, मन हरिय र, उम्मर मोटियारी,
धान के नवा खेत लागय लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आ गे ?
धनहा डोली बिन बियासे लुवागे ।
हो कोनो रूसी - चीनी अउ इराकी,
धरती के नाता ले मोर कका - काकी,
जुद्ध म मरय कोनो मनखेच ह मरथेे,
कोनो घर भसके, मोर भिथिया ओदरथे,
बोली गुलाल, तोर हाँसी पिच कारी,
इन्द्रधनुस रंग लगय जुच्छा लबारी -
- कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के धुँगिया ले बादर करिया गे ।
बरपेली झगरा अउ जुद्ध खेल हो गे ।
पिकरी कस झगरा ह आज बेल हो गे ।
देस आने - आने पन धरती हे एके ।
मया के मयारू दू खंभा मं टेके ।
देखे हवँ जब ले तोर अँगना - दुवारी,
लागय सरग तब ले मोला लबारी -
कहे नइ पायेवँ अउ का बेरा आगे ?
धरती के फोटू के कोनहा चि रागे ।
गीतिका, दाऊच ौरा
खैरागढ़ (छ.ग.)
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