विटठराम साहू 'निश्छल'
बड़ा सुघ्घर लागे रे संगी, हमर गंवई गांव,
खेत - कोठार गंगा - तिरीथ,
नीक लागय पीपर के छांव॥ बड़ सुघ्घर लागे ....।
जिंहा सूरूज बिहिनिया बेरा,
लाथे सोनहा बिहान।
चिरई - चिरगुन के चहचहई मा,
मगन होथे लईका अउ सियान।
नई हे कोन्हों ऊच -नीच,
सब भाई बरोबर रहिथन एके ठाँव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
कका - काकी, आजीदाई,
नता हा चलतेच हावय।
पा लगी अऊ राम - राम,
आदर सबके करतेच हावय॥
कखरो संग नई दुरमत हे,
सब संग परेम भाव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
अलवा - जलुवा जउन मिलगे,
उही मां रहिथन मंगन।
भूखन - लांघन नांगर जोतथन,
नून - पसिया मा बुझाथन अगन॥
सबके सुख मा हमरो सुख,
अउ सबके दुख मा हमर घाव।
बड़ सुघ्घर लागथे संगी, हमर गंवई गांव॥
रोज बाजय ढोलक झांझ,
पंडवानी - करमा - ददरिया।
फाग - आलहा ला नांगर जोतत,
गाथे हमर नगरिहा॥
मंगलू- रामू -खोरबाहरा - चैतू,
सुख - दुख बांटे पीपर के छांव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
मौवहारी भाठा, महासमुन्द (छ.ग.)
बड़ा सुघ्घर लागे रे संगी, हमर गंवई गांव,
खेत - कोठार गंगा - तिरीथ,
नीक लागय पीपर के छांव॥ बड़ सुघ्घर लागे ....।
जिंहा सूरूज बिहिनिया बेरा,
लाथे सोनहा बिहान।
चिरई - चिरगुन के चहचहई मा,
मगन होथे लईका अउ सियान।
नई हे कोन्हों ऊच -नीच,
सब भाई बरोबर रहिथन एके ठाँव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
कका - काकी, आजीदाई,
नता हा चलतेच हावय।
पा लगी अऊ राम - राम,
आदर सबके करतेच हावय॥
कखरो संग नई दुरमत हे,
सब संग परेम भाव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
अलवा - जलुवा जउन मिलगे,
उही मां रहिथन मंगन।
भूखन - लांघन नांगर जोतथन,
नून - पसिया मा बुझाथन अगन॥
सबके सुख मा हमरो सुख,
अउ सबके दुख मा हमर घाव।
बड़ सुघ्घर लागथे संगी, हमर गंवई गांव॥
रोज बाजय ढोलक झांझ,
पंडवानी - करमा - ददरिया।
फाग - आलहा ला नांगर जोतत,
गाथे हमर नगरिहा॥
मंगलू- रामू -खोरबाहरा - चैतू,
सुख - दुख बांटे पीपर के छांव।
बड़ सुघ्घर लागथे रे संगी, हमर गंवई गांव॥
मौवहारी भाठा, महासमुन्द (छ.ग.)
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