
कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने आधार वक्तव्य में परिषद् के संरक्षक एवं कथाकार श्री कुबेर ने मिथकों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मिथक, मिथकों की उत्पत्ति एवं समाज में मिथकों की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि मिथकों की रचना लोक-समाज के बौद्धिक वर्ग ने ही प्रकृति की अजेय, विकट व रहस्यमयी शक्तियों की अभ्यर्थना हेतु अथवा प्रकृति की ऐसी ही किसी घटना की व्याख्या करने के लिए अथवा प्रकृति की सुकोमल, विश्वकल्याणकारी स्वरूप से प्रेरित होकर अनायास ही किया होगा परंतु बौद्धिक वर्ग द्वारा रची गई इस तरह की कोई भी कहानी लोक-स्वीकार्यता और लोक-मान्यता प्राप्त करने के पश्चात् ही मिथक बन पाई होगी। ज्ञान के आधार पर मिथकों की रचना नहीं हुई है अपितु मिथकों के आधार पर ज्ञान का विकास अवश्य हुआ है। हर समाज, हर भाषा, हर जाति, हर देश का अपना-अपना मिथक होता है। मिथकों की रचना समाज की मान्यताओं और परिस्थितियों के अनुसार ही हुआ होगा।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोक- संगीतकार श्री खुमान साव, साहित्यकार आचार्य सरोज द्विवेदी, श्री सुरेश सर्वेद (साहित्यकार एवं संपादक, विचार वीथी) तथा हास्य कवि श्री पद्म लोचन शर्मा ' मुँहफट ' ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर परिषद् के सदस्य श्री कुलेश्वर दास साहू को ' साकेत सम्मान-2013 ' से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में ' लोक साहित्य में मिथक ' विषय पर केन्द्रित परिषद् की स्मरिका ' साकेत - 2013 ' का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम में भिलाई से पधारे साहित्यिक संस्था सिरजन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री लोकनाथ साहू तथा संयोजक श्री दुर्गा प्रसाद पारकर, राजनांदगाँव से पधारे श्री चन्द्रशेखर शर्मा, साकेत साहित्य परिषद् के सभी सदस्यों सहित बड़ी संख्या में साहित्यानुरागी एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन परिषद् के सलाहकार श्री ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' तथा सचिव श्री लखनलाल साहू ' लहर ' ने किया। आभार प्रदर्शन परिषद् के अध्यक्ष श्री थनवार निषाद ' सचिन ' ने किया।
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