- मुकुंद कौशल -
तुम प्रशंसा के न ऐसे पुल बनाओ।
जो भी जैसा है, उसे वैसा बताओ।।
चढ़ गया तो वह बिचारा गिर पड़ेगा,
मत चने के झाड़ पर उसको चढ़ाओ।
हो सके तो थाम लो गिरते की उँगली,
मत किसी को पाँव की ठोकर लगाओ।
धूप में तपती हुई सूखी पड़ी है,
उस जम़ीं पर भी कोई पौधा उगाओ।
आग में तब्दील होने दो इरादे,
थपकियाँ दे दे के इनको मत सुलाओ।
भूल जिसने की न हो ता - उम्र कौशल
एक ऐसा आदमी हमको दिखाओ।
एम - 516, पद्मनाथपुर, दुर्ग छत्तीसगढ़
मोबाईल - 93294 - 16167
तुम प्रशंसा के न ऐसे पुल बनाओ।
जो भी जैसा है, उसे वैसा बताओ।।
चढ़ गया तो वह बिचारा गिर पड़ेगा,
मत चने के झाड़ पर उसको चढ़ाओ।
हो सके तो थाम लो गिरते की उँगली,
मत किसी को पाँव की ठोकर लगाओ।
धूप में तपती हुई सूखी पड़ी है,
उस जम़ीं पर भी कोई पौधा उगाओ।
आग में तब्दील होने दो इरादे,
थपकियाँ दे दे के इनको मत सुलाओ।
भूल जिसने की न हो ता - उम्र कौशल
एक ऐसा आदमी हमको दिखाओ।
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