विट्टठल राम साहू निश्छल
करम करे ले सुख मिलही गा,
काबर तंय ओतियाथस जी
मेहनत के धन पबरीत भईया
बिरथा काबर लागथे जी ।
रात दिन तंय जांगर टोर,
तंय चैन के बंसी बजाबे जी
करम के खेती ल करके भइया
भाग ल काबर रोथस जी,
करले संगी तंय मेहनत ल
काबर दिन ल पहाथस जी
मेहनत ले हे भाग मुठा म
बिरथा काबर लागथे जी ।
गेये बेरा बहुरे नई संगी
नई पावस तंय काली लग
समें झन अबिरथा होवय
मुड़ धर के पसताबे जी ।
मौहारीभाठा, महासमुंद, छत्तीसगढ़
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