गोपाल दास साहू
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे।
गुनत - गुनत मंय गेंव हारे॥
रात दीन खुले रहिथे बैरी मधुशाला।
तोर मंदिर राम लगे रहिथे तारा॥
मस्ती मा झूमत रहिथे सब मतवाला॥
मंद ला पी के राम दाई ददा ल मारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे।
पापी लफंगा के आज घर हा भरगे।
गरीब के घर आज नून तेल खंगगे॥
हमूं हा देस बर लहू ला बोहाएन।
कोन जनि का पाप करेन कुछू नइ पायेन॥
गरीब के राम आज छितका कुरिया उजरे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
गरीब बर राम तंय निच्चट कइसे रूसागे।
तिनहा अंधियार मा दीया हा बुझागे॥
पइसा वाले के बात बात म काम बन जाथे।
बिन पइसा वाले रद्दा जोहत रहि जाथे॥
गरीब डहर राम तंय थोरको नइ निहारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
का करम करे रहेन के बन गेन भिखारी।
भूखे लांघन दीन बितायेन सपना होगे देवारी॥
सोचत डोकरा बइठे काली आवय डोकरी देवारी।
अंगरा रोटी रांध लेबो कहां पाबो ठेठरी सोहारी॥
कहे गोपाल राम तेहा छोटे बड़े ला निमारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
भंडारपुर करेला, पो.- ढारा, व्हाया - डोंगरगढ़, जिला - राजनांदगांव 6छ.ग.8
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे।
गुनत - गुनत मंय गेंव हारे॥
रात दीन खुले रहिथे बैरी मधुशाला।
तोर मंदिर राम लगे रहिथे तारा॥
मस्ती मा झूमत रहिथे सब मतवाला॥
मंद ला पी के राम दाई ददा ल मारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे।
पापी लफंगा के आज घर हा भरगे।
गरीब के घर आज नून तेल खंगगे॥
हमूं हा देस बर लहू ला बोहाएन।
कोन जनि का पाप करेन कुछू नइ पायेन॥
गरीब के राम आज छितका कुरिया उजरे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
गरीब बर राम तंय निच्चट कइसे रूसागे।
तिनहा अंधियार मा दीया हा बुझागे॥
पइसा वाले के बात बात म काम बन जाथे।
बिन पइसा वाले रद्दा जोहत रहि जाथे॥
गरीब डहर राम तंय थोरको नइ निहारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
का करम करे रहेन के बन गेन भिखारी।
भूखे लांघन दीन बितायेन सपना होगे देवारी॥
सोचत डोकरा बइठे काली आवय डोकरी देवारी।
अंगरा रोटी रांध लेबो कहां पाबो ठेठरी सोहारी॥
कहे गोपाल राम तेहा छोटे बड़े ला निमारे।
दाता तंय हर दुनिया ल कइसे उबजारे॥
भंडारपुर करेला, पो.- ढारा, व्हाया - डोंगरगढ़, जिला - राजनांदगांव 6छ.ग.8
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