संतोष प्रधान कचंदा
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
प्रगति के पथ पर , हमें च लते ही जाना है ।।
बिखरे कांटे राहों में, चाहे लाये बिध्न हजार,
बांध जंजीर पैरों में, रोके कोई हमारा द्वार ।।
पर न रूकेंगे राहों में , ये जंजीर तोड़ जाना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
बिजली च मके, तड़ित तड़के,घन मेघ घटा घिरे ।
या प्रलय तूफान संग, कालगति हिमगिरे ।।
चाहे जो भी हो जाये,हमें नहीं घबराना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
पी मदिरा को खो जाना है,गुम न हो जाये होश ।
सतत आगे बढ़ने की , ठंडा न हो जाये जोश ।।
जोश में आ, होश न खोने देना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें च लते ही जाना है ।
आगे ही आगे बढ़ना है,रूकना नहीं हर हाल में ।
फैला च हूं ओर, न फंसना तितलियों के जाल में ।।
ये माया जाल , हमें नý कर जाना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर हमें च लते ही जाना है ।
मुकाम - कचंदा (राजा) , पो. - झरना
व्हाया - बाराद्वार , जिला - जांजगीर - चांपा
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
प्रगति के पथ पर , हमें च लते ही जाना है ।।
बिखरे कांटे राहों में, चाहे लाये बिध्न हजार,
बांध जंजीर पैरों में, रोके कोई हमारा द्वार ।।
पर न रूकेंगे राहों में , ये जंजीर तोड़ जाना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
बिजली च मके, तड़ित तड़के,घन मेघ घटा घिरे ।
या प्रलय तूफान संग, कालगति हिमगिरे ।।
चाहे जो भी हो जाये,हमें नहीं घबराना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें मंजिल पाना है ।
पी मदिरा को खो जाना है,गुम न हो जाये होश ।
सतत आगे बढ़ने की , ठंडा न हो जाये जोश ।।
जोश में आ, होश न खोने देना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर, हमें च लते ही जाना है ।
आगे ही आगे बढ़ना है,रूकना नहीं हर हाल में ।
फैला च हूं ओर, न फंसना तितलियों के जाल में ।।
ये माया जाल , हमें नý कर जाना है ।
प्रगति के पथ पर हमें च लते ही जाना है ।।
बाधाओं को दूर कर हमें च लते ही जाना है ।
मुकाम - कचंदा (राजा) , पो. - झरना
व्हाया - बाराद्वार , जिला - जांजगीर - चांपा
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