सोचने के लिए इक रात काफी है।
जीने, चंद शाद- ए- हयात काफी है।।
यारो उनके दीदार के लिए देखना
बस इक छोटी सी मुलाकात काफी है
उनकी उलझन की श$क्ल क्या है
कहने के लिए जज्बात काफी है
बदलते इंसान की नियति में
यहॉ छोटा सा हालात काफी है
न दिखाओं आसमां अपना दिल
तुम्हारे अश्कों की बरसात काफी है
खुद को छुपाने के लिए सुकुमार
चश्म की $कायनात काफी है
गॉव हुआ न मेरा शहर हुआ।
क्यूॅ हर शय बेखबर हुआ।।
न महफिल हो सकी न हमारी।
अपनातो बस ये दोपहर हुआ।।
मुसाफिर की तरह चल रहें।
चलना इधर - उधर हुआ।।
आ$फताबे तब्जूम कैसे करे।
खामोश हर स$फर हुआ।।
मंजिल की तलाश रही पर।
न बसेरा, न कोई घर हुआ।।
भीड़ ही दिखायी देती रही मुझे।
तन्हा यहॉ हर शहर हुआ।।
उदय अशियाना, चौबेबांधा राजिम,
जिला - गरियाबंद छत्तीसगढ़ 493885
जीने, चंद शाद- ए- हयात काफी है।।
यारो उनके दीदार के लिए देखना
बस इक छोटी सी मुलाकात काफी है
उनकी उलझन की श$क्ल क्या है
कहने के लिए जज्बात काफी है
बदलते इंसान की नियति में
यहॉ छोटा सा हालात काफी है
न दिखाओं आसमां अपना दिल
तुम्हारे अश्कों की बरसात काफी है
खुद को छुपाने के लिए सुकुमार
चश्म की $कायनात काफी है
गॉव हुआ न मेरा शहर हुआ।
क्यूॅ हर शय बेखबर हुआ।।
न महफिल हो सकी न हमारी।
अपनातो बस ये दोपहर हुआ।।
मुसाफिर की तरह चल रहें।
चलना इधर - उधर हुआ।।
आ$फताबे तब्जूम कैसे करे।
खामोश हर स$फर हुआ।।
मंजिल की तलाश रही पर।
न बसेरा, न कोई घर हुआ।।
भीड़ ही दिखायी देती रही मुझे।
तन्हा यहॉ हर शहर हुआ।।
उदय अशियाना, चौबेबांधा राजिम,
जिला - गरियाबंद छत्तीसगढ़ 493885
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