1
अशोक अंजुम
सहरा, जंगल, पर्वत, पानी !
सबकी अपनी रामकहानी!
हैं कबीरपंथी ओहदों पर
थकी-थकी कबिरा की बानी!
ढाई आखर ढूँढ रहे हैं,
अपने घर का पता, निशानी!
मस्तीए सेक्सए ड्रग्स में डूबी
देश दूंदता फिरे जवानी !
बेटा सच की राह पे चलना
डैडी ये सब बात पुरानी !
मंहगी दारूए सुन्दर लड़की
बाबू फिर भी आनाकानी !
सारे ज्ञानी बाज़ारों में
बरसे कम्बल, भीगे पानी !
2
इधर ढूँढती है ए उधर ढूँढती है
तुम्हें हर घड़ी ये नज़र ढूँढती है
कहाँ तक डरोगेए कहाँ तक बचोगे
ये दुनिया है दुनिया खबर ढूँढती है
मेरे कद में मेरा नहीं हाथ कुछ भी
दुआ आज अपना असर ढूँढती है
सुबह जब उड़ी थी यहीं था ठिकाना
हुयी शाम चिड़िया शज़र ढूँढती है
ये लड़की भी क्या शय बनाई है या रब
जनम से मरण तक ये घर ढूँढती है
कहन पर मेरा जोर रहता है अंजुम
तुम्हारी नज़र बस बहर ढूँढती है
अशोक अंजुम
सहरा, जंगल, पर्वत, पानी !
सबकी अपनी रामकहानी!
हैं कबीरपंथी ओहदों पर
थकी-थकी कबिरा की बानी!
ढाई आखर ढूँढ रहे हैं,
अपने घर का पता, निशानी!
मस्तीए सेक्सए ड्रग्स में डूबी
देश दूंदता फिरे जवानी !
बेटा सच की राह पे चलना
डैडी ये सब बात पुरानी !
मंहगी दारूए सुन्दर लड़की
बाबू फिर भी आनाकानी !
सारे ज्ञानी बाज़ारों में
बरसे कम्बल, भीगे पानी !
2
इधर ढूँढती है ए उधर ढूँढती है
तुम्हें हर घड़ी ये नज़र ढूँढती है
कहाँ तक डरोगेए कहाँ तक बचोगे
ये दुनिया है दुनिया खबर ढूँढती है
मेरे कद में मेरा नहीं हाथ कुछ भी
दुआ आज अपना असर ढूँढती है
सुबह जब उड़ी थी यहीं था ठिकाना
हुयी शाम चिड़िया शज़र ढूँढती है
ये लड़की भी क्या शय बनाई है या रब
जनम से मरण तक ये घर ढूँढती है
कहन पर मेरा जोर रहता है अंजुम
तुम्हारी नज़र बस बहर ढूँढती है
पता : संपादक - अभिनव प्रयास त्रैमासिक
ट्रक गैट, अलीगढ़ 202001 (उ.प्र.)
मो09258779744,09358218907
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