जगन्नाथ ' विश्व '
सुन्दर सन्दर्भों की स्वर्णिम सी प्रात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
बुला रहे गैल - गैल मुस्काते फुल
निवेदन से नरमाये संग - संग शूल
कर रही कली कली स्वागत की बात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
अगवानी कर रहा रंगीला ऋतुराज
सवार रही पुरवैया सौरभ की ताज
गीत गुन गुना रही भंवरी की जमात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
सम्बोधित मौन मुखर प्यार के अपार
अभिनंदन आमंत्रण मन मांझी स्वीकार
निश्चय की नाव चले दिन चाहे रात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात।
सिन्दूरी शाम
रथ सूरज ने छोड़ा अपिरिचित ग्राम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दुरी शाम।
भगीरथ घर लौट रहे लेकर वरदान।
सपने सुकुमार हृदय मीठी मुस्कान।
पूर्ण हुए अनुबंधित अनकिये से काम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
गुलाल गैल अंगड़ाई चंदन सी धूल।
आकाश में अंकुराये तारे ज्यों फूल
मचल उठा यौवन इच्छाओं के नाम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
सात्वंना सुख की ले मुस्काई सांझ।
झुरमुट में खिला चंद्र गूंज उठी झांझ।
मन - पूजन ज्योत जली जागे प्रणाम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
गरीमा प्रकाशन, मनोबल, 25 एम. आई. जी., हनुमान नगर,
नागदा जं. (म.प्र.) 456335
सुन्दर सन्दर्भों की स्वर्णिम सी प्रात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
बुला रहे गैल - गैल मुस्काते फुल
निवेदन से नरमाये संग - संग शूल
कर रही कली कली स्वागत की बात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
अगवानी कर रहा रंगीला ऋतुराज
सवार रही पुरवैया सौरभ की ताज
गीत गुन गुना रही भंवरी की जमात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात
सम्बोधित मौन मुखर प्यार के अपार
अभिनंदन आमंत्रण मन मांझी स्वीकार
निश्चय की नाव चले दिन चाहे रात
सूरज संग किरणों की लाया सौगात।
सिन्दूरी शाम
रथ सूरज ने छोड़ा अपिरिचित ग्राम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दुरी शाम।
भगीरथ घर लौट रहे लेकर वरदान।
सपने सुकुमार हृदय मीठी मुस्कान।
पूर्ण हुए अनुबंधित अनकिये से काम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
गुलाल गैल अंगड़ाई चंदन सी धूल।
आकाश में अंकुराये तारे ज्यों फूल
मचल उठा यौवन इच्छाओं के नाम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
सात्वंना सुख की ले मुस्काई सांझ।
झुरमुट में खिला चंद्र गूंज उठी झांझ।
मन - पूजन ज्योत जली जागे प्रणाम।
अनसंवरी संवर गई सिन्दूरी शाम।
गरीमा प्रकाशन, मनोबल, 25 एम. आई. जी., हनुमान नगर,
नागदा जं. (म.प्र.) 456335
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