जितेन्द्र जौहर के दोहे
रही तड़पती आँसुओं में डूबी तहरीर
दिल्ली में पकती रही आश्वासन की खीर
संसद में बिकने लगे खुलेआम ईमान
हमने तो देखी नहीं, इतनी बड़ी दुकान
क्या बतलाऊँ, क्या लिखूँ, राजनीति का हाल
कुर्सी पर काबिज हुए, गुण्डे - चोर - दलाल
ये कैसा कानून है, वाह ... सियासत वाह
खेत गधे मिल खा गये, पकड़े गये जुलाह
आई . आर. 13/6,रेणुसागर, सोनभद्र [उ.प्र.]
रही तड़पती आँसुओं में डूबी तहरीर
दिल्ली में पकती रही आश्वासन की खीर
संसद में बिकने लगे खुलेआम ईमान
हमने तो देखी नहीं, इतनी बड़ी दुकान
क्या बतलाऊँ, क्या लिखूँ, राजनीति का हाल
कुर्सी पर काबिज हुए, गुण्डे - चोर - दलाल
ये कैसा कानून है, वाह ... सियासत वाह
खेत गधे मिल खा गये, पकड़े गये जुलाह
आई . आर. 13/6,रेणुसागर, सोनभद्र [उ.प्र.]
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