डां.सुनील कुमार ' तनहा '
कण - कण में भगवान मिले
पर ना मिला एक आदमी।
गली - गली हर डगर - डगर
ढूंढ रहा हूं दर - बदर
नगर वीथियों चौबारों में
औ सत्ता के गलियारों मे
दिन की मुक्त रोशनी हो
या हो रात शबनमीं
कण - कण में ....
शैल पनघट या उपवन
ढूंढ रहा हूं इधर - उधर
योगियों के साधन में
भोगियों के वासना में
क्या पतझर क्या हरीतिमा
गगन हो या जमीं
कण - कण में ...
दीन दुखियों के अश्रुनीर में
ढूंढ रहा हूं प्रचंड पीर में
जन - मन के भाव प्रवचन में
शिशुओं के क्रन्दन रूदन में
रजनी की श्यामल छाँव हो
या हो रात पूनमी
कण - कण में ...
पुष्पगंधा प्रकाशन,
राजमहल चौक, कबीरधाम ( छग. )
कण - कण में भगवान मिले
पर ना मिला एक आदमी।
गली - गली हर डगर - डगर
ढूंढ रहा हूं दर - बदर
नगर वीथियों चौबारों में
औ सत्ता के गलियारों मे
दिन की मुक्त रोशनी हो
या हो रात शबनमीं
कण - कण में ....
शैल पनघट या उपवन
ढूंढ रहा हूं इधर - उधर
योगियों के साधन में
भोगियों के वासना में
क्या पतझर क्या हरीतिमा
गगन हो या जमीं
कण - कण में ...
दीन दुखियों के अश्रुनीर में
ढूंढ रहा हूं प्रचंड पीर में
जन - मन के भाव प्रवचन में
शिशुओं के क्रन्दन रूदन में
रजनी की श्यामल छाँव हो
या हो रात पूनमी
कण - कण में ...
पुष्पगंधा प्रकाशन,
राजमहल चौक, कबीरधाम ( छग. )
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