पं. रमाकांत शर्मा
प्रतिदिन के सूर्योदय में होता नव आशा का संचार
क्षुधा संवरण करता मानव, निर्निमेष संसार।
अरे विश्व तू छलना है, हैं लोग स्वयं पर भार,
जीत - जीत कर पुन: पुन: हो जाती है हार।
कहीं किसी साहब के कुत्ते, मीठे बिस्कुट खाते हैं,
कहीं किसी के लाड़ले, भूखे ही सो जाते हैं।
एक मनु के सभी है मानव, सब अवसर से खेल रहे हैं,
रीति, नीति सिद्धांत नहीं है, लोगों को ठेल रहे हैं।
इंसानों की मजबूरी को गेंद बनाकर खेल रहे हैं।
ये कैसे अन्याय हो रहा, चुपके - चुपके पर तेजी से,
यहां मचा कुहराम, चतुर्दिक कष्टïों के बादल छाते हैं।
चलो, चले जाएं साथी, आज नहीं कोई है सुनता,
चीख - चीख कर क्यों गाल बजाये, आज नहीं है कोई गुनता।
गंगा कुटीर, ब्राम्हणपारा
छुईखदान
जिला - राजनांदगांव 6छ.ग.8
प्रतिदिन के सूर्योदय में होता नव आशा का संचार
क्षुधा संवरण करता मानव, निर्निमेष संसार।
अरे विश्व तू छलना है, हैं लोग स्वयं पर भार,
जीत - जीत कर पुन: पुन: हो जाती है हार।
कहीं किसी साहब के कुत्ते, मीठे बिस्कुट खाते हैं,
कहीं किसी के लाड़ले, भूखे ही सो जाते हैं।
एक मनु के सभी है मानव, सब अवसर से खेल रहे हैं,
रीति, नीति सिद्धांत नहीं है, लोगों को ठेल रहे हैं।
इंसानों की मजबूरी को गेंद बनाकर खेल रहे हैं।
ये कैसे अन्याय हो रहा, चुपके - चुपके पर तेजी से,
यहां मचा कुहराम, चतुर्दिक कष्टïों के बादल छाते हैं।
चलो, चले जाएं साथी, आज नहीं कोई है सुनता,
चीख - चीख कर क्यों गाल बजाये, आज नहीं है कोई गुनता।
गंगा कुटीर, ब्राम्हणपारा
छुईखदान
जिला - राजनांदगांव 6छ.ग.8
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