·कृष्णा श्रीवास्तव ' गुरुजी '
तुम्हारे होेने का / अहसास
मुझे होने लगा है
शाय द / मेरे अंदर फौलाद
आकार लेने लगा है ।
तुम्हारे / ठोस इरादों की
तासीर / अब तक व्याÄ है
मेरे जेहन में
नसों में बहता लहू / और लाल हो रहा है
मेरे अन्दर / मेरा लाल
तैयार हो रहा है ।
तुम्हारी ऊजार् से
वरदानी / अभिमन्यु
भेदेगा च क्रव्यूह
उससे सीख लिया है
कथित रथियों के
कुटिलता का रहस्य
अभिमन्यु तैयार हो रहा है
अभिमन्यु ...........।
संकल्प, दिक्ग्वजय कालेज मागर्,
राजनांदगांव (छग)
तुम्हारे होेने का / अहसास
मुझे होने लगा है
शाय द / मेरे अंदर फौलाद
आकार लेने लगा है ।
तुम्हारे / ठोस इरादों की
तासीर / अब तक व्याÄ है
मेरे जेहन में
नसों में बहता लहू / और लाल हो रहा है
मेरे अन्दर / मेरा लाल
तैयार हो रहा है ।
तुम्हारी ऊजार् से
वरदानी / अभिमन्यु
भेदेगा च क्रव्यूह
उससे सीख लिया है
कथित रथियों के
कुटिलता का रहस्य
अभिमन्यु तैयार हो रहा है
अभिमन्यु ...........।
संकल्प, दिक्ग्वजय कालेज मागर्,
राजनांदगांव (छग)
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