- नरइंदर कुमार -
करवट बदलते यादों ने घेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
पल भर भी पलकें थमी नहीं,
निंदियां की गोद में,
तेरी जुल्फें लहराती रहीं
अंगुलियों के छोर में,
तुम्हीं बताओ यह कौन लुटेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
सारी शक्ति पैसों की हवस में,
डाल रही डेरा है,
प्यारी भक्ति विरक्त बन कहे,
अंधियारे तू मेरा है,
कौन आकर बताए मन किसका चितेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
धर्म दिखता मयखाने मे,
गिरता पड़ता रोज,
मुझको समझाने निकला आतंक,
लेकर भूखों की फौज,
इन्हें कौन समझाए किधर सवेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
भूख का नाम बताने आज,
हरा भरा उपवन नहीं,
भाकर क्या होती है जताने
सूने हाथ अब कुंदन नहीं,
सूखे दरखत कोई ढूंढता बसेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
सी004, उत्कर्ष अनुराघा सिविल लाईन, नागपुर - 440001 (महा.)
करवट बदलते यादों ने घेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
पल भर भी पलकें थमी नहीं,
निंदियां की गोद में,
तेरी जुल्फें लहराती रहीं
अंगुलियों के छोर में,
तुम्हीं बताओ यह कौन लुटेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
सारी शक्ति पैसों की हवस में,
डाल रही डेरा है,
प्यारी भक्ति विरक्त बन कहे,
अंधियारे तू मेरा है,
कौन आकर बताए मन किसका चितेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
धर्म दिखता मयखाने मे,
गिरता पड़ता रोज,
मुझको समझाने निकला आतंक,
लेकर भूखों की फौज,
इन्हें कौन समझाए किधर सवेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
भूख का नाम बताने आज,
हरा भरा उपवन नहीं,
भाकर क्या होती है जताने
सूने हाथ अब कुंदन नहीं,
सूखे दरखत कोई ढूंढता बसेरा है।
सामने और कोई नहीं तेरा चेहरा है।।
सी004, उत्कर्ष अनुराघा सिविल लाईन, नागपुर - 440001 (महा.)
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