ज्ञानेन्द्र साज
राह चलते नहीं अब कोई कहानी ढूंढो
आदमी मिलता नहीं उसकी निशानी ढूंढो,
लोग दौलत के लिए जान तक दे देते हैं
देश के काम आए वो जवानी ढूंढो
प्रदूषित हो गई है ऊपर से नीचे सारी
अब नहीं दरिया - ए - गंगा में वो पानी ढूंढो
लूटकर खा रहे जो देश करके उनसे अलग
प्रताप, आजाद, भगत झांसी की रानी ढूंढो
इक इंकलाब उठे देश के हर कोने से
चलिए लोगों में कहीं इसकी रवानी ढूंढो
मैं जो कहता हूं वही आप भी महसूसते है
इसलिए साज के शब्दों के भी मानी ढूंढो
2
अब क्या है मेरा हाल, न पूछे तो ठीक है
तू मुझसे ये सवाल न पूछे तो ठी है
हम दोनों को एक - दूसरे से दूर करने की
किसने रची कुचाल न पूछे तो ठीक है
तुझे देखने की चाह पर, तेरी गली में तब
कितना मचा बवाल, न पछे तो ठीक है
ये मैं ही जानता हूं कि तेरी जुदाई का
कितना हुआ मलाल न पूछे तो ठीक है
इतने दिनों के बाद मुहब्बत कि नाम पर
क्या है मेरा ख्याल, न पूछे तो ठीक है
क्या सोाचकर के तूने मेरे प्यार को ऐ साज
दिल से दिया निकाल, न पूछे तो ठीक है
17 / 212, जयगंज, अलीगढ़ ( उ.प्र.) 202001
राह चलते नहीं अब कोई कहानी ढूंढो
आदमी मिलता नहीं उसकी निशानी ढूंढो,
लोग दौलत के लिए जान तक दे देते हैं
देश के काम आए वो जवानी ढूंढो
प्रदूषित हो गई है ऊपर से नीचे सारी
अब नहीं दरिया - ए - गंगा में वो पानी ढूंढो
लूटकर खा रहे जो देश करके उनसे अलग
प्रताप, आजाद, भगत झांसी की रानी ढूंढो
इक इंकलाब उठे देश के हर कोने से
चलिए लोगों में कहीं इसकी रवानी ढूंढो
मैं जो कहता हूं वही आप भी महसूसते है
इसलिए साज के शब्दों के भी मानी ढूंढो
2
अब क्या है मेरा हाल, न पूछे तो ठीक है
तू मुझसे ये सवाल न पूछे तो ठी है
हम दोनों को एक - दूसरे से दूर करने की
किसने रची कुचाल न पूछे तो ठीक है
तुझे देखने की चाह पर, तेरी गली में तब
कितना मचा बवाल, न पछे तो ठीक है
ये मैं ही जानता हूं कि तेरी जुदाई का
कितना हुआ मलाल न पूछे तो ठीक है
इतने दिनों के बाद मुहब्बत कि नाम पर
क्या है मेरा ख्याल, न पूछे तो ठीक है
क्या सोाचकर के तूने मेरे प्यार को ऐ साज
दिल से दिया निकाल, न पूछे तो ठीक है
17 / 212, जयगंज, अलीगढ़ ( उ.प्र.) 202001
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