महेन्द्र राठौर
किया है वादा तो हमसे जरा निभाना मियां।
तुम भी मौसम की तरह न बदल जाना मियां॥
आज जो प्यार जताते हो, जताते रहना।
तुम भी जालिम की तरह हमको न सताना मियां॥
हम तो मासूम है समझते नहीं उलटा सीधा।
किसी से मिलके हमें आँख न दिखाना मियां॥
इसी में घर, चमन, सल्तनत भी लुटती है।
शौक उल्फत का कभी दिल में न जगाना मियां॥
हमारी सादगी दुनिया पे खूब जाहिर है।
वफा खरीद के हमपे न तुम जताना मियां॥
गरज परस्त नहीं हम तो भोले - भाले हैं।
किसी से सीख के हमको न तुम सिखाना मियां॥
ये खेल आग का अच्छा नहीं हुआ करता।
हमारे घर की लगी को न तुम बुझाना मियां॥
न्यू चंदनिया पारा, जांजगीर (छ.ग.)
किया है वादा तो हमसे जरा निभाना मियां।
तुम भी मौसम की तरह न बदल जाना मियां॥
आज जो प्यार जताते हो, जताते रहना।
तुम भी जालिम की तरह हमको न सताना मियां॥
हम तो मासूम है समझते नहीं उलटा सीधा।
किसी से मिलके हमें आँख न दिखाना मियां॥
इसी में घर, चमन, सल्तनत भी लुटती है।
शौक उल्फत का कभी दिल में न जगाना मियां॥
हमारी सादगी दुनिया पे खूब जाहिर है।
वफा खरीद के हमपे न तुम जताना मियां॥
गरज परस्त नहीं हम तो भोले - भाले हैं।
किसी से सीख के हमको न तुम सिखाना मियां॥
ये खेल आग का अच्छा नहीं हुआ करता।
हमारे घर की लगी को न तुम बुझाना मियां॥
न्यू चंदनिया पारा, जांजगीर (छ.ग.)
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