डा.पीसी लाल यादवगाँव छोड़ के, झन जातैं मितान रे
मोर सुन लेबे तैंहा सुजान ।
मोर गाँव हे सबके परान रे
इहाँ सुख के हवय खदान ।
गाँव के माटी म संगी
माटी म मिलही मुिित ।
इही तोर सुख - सपना
अऊ तोर हाँसी खुसी ।
तोर जिनगी के नवा बिहान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
गाँव के मया ह मितान
मया ह हवै अनमोल ।
इहाँ हितु - पिरितु अऊ
सगा सैना के मीठ बोल ।
जुड़ाथे कल्पत परान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
गाँँव के माटी म मयारू
माटी म पुरखा खपगे ।
जांगर टोर महिनत कर
करिया लोहा कस तप के ।
महिनत के ऊँच मचान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
ग·डई - प·डरिया, जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
मोर सुन लेबे तैंहा सुजान ।
मोर गाँव हे सबके परान रे
इहाँ सुख के हवय खदान ।
गाँव के माटी म संगी
माटी म मिलही मुिित ।
इही तोर सुख - सपना
अऊ तोर हाँसी खुसी ।
तोर जिनगी के नवा बिहान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
गाँव के मया ह मितान
मया ह हवै अनमोल ।
इहाँ हितु - पिरितु अऊ
सगा सैना के मीठ बोल ।
जुड़ाथे कल्पत परान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
गाँँव के माटी म मयारू
माटी म पुरखा खपगे ।
जांगर टोर महिनत कर
करिया लोहा कस तप के ।
महिनत के ऊँच मचान रे
गाँव छोड़ के झन जा तैं मितान ।
ग·डई - प·डरिया, जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
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