महेन्द्र राठौर
हर घड़ी उनके ही कहने वो कहाने से रहे।
हम कहाँ अपनी जगह ठीक ठिकाने से रहे॥
क्या बतायेंगे $जमाने ने अगर पूछ लिया।
तेरी तलाश में हम कितने $जमाने से रहे॥
लीजिए हम ही किये देते हैं जान, दिल कुरबां।
आप तो सनम हमसे प्यार जताने से रहे॥
एक सहारे की जुरूरत तो हुआ करती है।
बोझ $गम का है मगर आप उठाने से रहे॥
तुम मिटा दोगे तो एहसान समझ लूंगा इसे।
मेरे अरमान मेरी $जीस्त मिटाने से रहे॥
दो
तकलीफ $िजदगी की उठाई है किसी ने।
दीवार यूं भी घर की बचाई है किसी ने॥
उसकी मदद तो करते नहीं हँस रहे हैं आप।
फरियाद अपने दिल की सुनाई है किसी ने॥
लुटती है आज थाने में औरत की आबरू।
ऐसी रपट भी आज लिखाई है किसी ने॥
अब उसके गिरेबां की तलाशी कुबूल है।
बच्चों के लिए रोटी चुराई है किसी ने॥
आया फटे लिबास पे चादर को डालकर।
अपनी गरीबी यँू भी छुपाई है किसी ने॥
न्यू चंदनियापारा, जांजगीर ( छ.ग.)
हर घड़ी उनके ही कहने वो कहाने से रहे।
हम कहाँ अपनी जगह ठीक ठिकाने से रहे॥
क्या बतायेंगे $जमाने ने अगर पूछ लिया।
तेरी तलाश में हम कितने $जमाने से रहे॥
लीजिए हम ही किये देते हैं जान, दिल कुरबां।
आप तो सनम हमसे प्यार जताने से रहे॥
एक सहारे की जुरूरत तो हुआ करती है।
बोझ $गम का है मगर आप उठाने से रहे॥
तुम मिटा दोगे तो एहसान समझ लूंगा इसे।
मेरे अरमान मेरी $जीस्त मिटाने से रहे॥
दो
तकलीफ $िजदगी की उठाई है किसी ने।
दीवार यूं भी घर की बचाई है किसी ने॥
उसकी मदद तो करते नहीं हँस रहे हैं आप।
फरियाद अपने दिल की सुनाई है किसी ने॥
लुटती है आज थाने में औरत की आबरू।
ऐसी रपट भी आज लिखाई है किसी ने॥
अब उसके गिरेबां की तलाशी कुबूल है।
बच्चों के लिए रोटी चुराई है किसी ने॥
आया फटे लिबास पे चादर को डालकर।
अपनी गरीबी यँू भी छुपाई है किसी ने॥
न्यू चंदनियापारा, जांजगीर ( छ.ग.)
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