गणेश यदु
गांधी जी तोर देस म, मनखे ह मनखे ल मारत हे।
तीनों बेंदरा मन ह तोर, निस दिन आँसू ढारत हे॥
जे हे देखइया, अंधरा होगे अनदेखी कर देथे।
बात सुनइया हर भैरा हो के, अनसुनी कर देथे॥
सत्त बोलइया मुक्का बनगे, जान सुन के नइ बोलय।
सत्त - ईमान, धरम करम के, भेद भरम ल नई खोलय॥
गदहा, राजा के घोड़ा बनगे, घोड़ा मउका ताकथे।
राजा के घोड़ा रेंहकत हे, घोड़ा ल दू लत्ती मारथे॥
गांधी जी तोर बेंदरा मन ह देख दसा ल बक खागें।
अपन - अपन हाथ हटाके, तोला दिए बचन भुलागे॥
गांधी जी तोर देस म ए अब कइसनहा दिन ह आगे।
सत्त - अहिंसा के हिरदे म, सँउहे आतंकवाद अमागे॥
मनखे पन खातिर अब तो, जन जागरन के समे आगे।
आतंकवाद, अलगाववाद संग लड़े के समे आगे॥
सम्बलपुर, जिला - कांकेर ( छ .ग .)
गांधी जी तोर देस म, मनखे ह मनखे ल मारत हे।
तीनों बेंदरा मन ह तोर, निस दिन आँसू ढारत हे॥
जे हे देखइया, अंधरा होगे अनदेखी कर देथे।
बात सुनइया हर भैरा हो के, अनसुनी कर देथे॥
सत्त बोलइया मुक्का बनगे, जान सुन के नइ बोलय।
सत्त - ईमान, धरम करम के, भेद भरम ल नई खोलय॥
गदहा, राजा के घोड़ा बनगे, घोड़ा मउका ताकथे।
राजा के घोड़ा रेंहकत हे, घोड़ा ल दू लत्ती मारथे॥
गांधी जी तोर बेंदरा मन ह देख दसा ल बक खागें।
अपन - अपन हाथ हटाके, तोला दिए बचन भुलागे॥
गांधी जी तोर देस म ए अब कइसनहा दिन ह आगे।
सत्त - अहिंसा के हिरदे म, सँउहे आतंकवाद अमागे॥
मनखे पन खातिर अब तो, जन जागरन के समे आगे।
आतंकवाद, अलगाववाद संग लड़े के समे आगे॥
सम्बलपुर, जिला - कांकेर ( छ .ग .)
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