आनंद तिवारी पौराणिक
1
झूठ ह बिन पाँव उत्ता - धुर्रा भागथे
पाछू म छल , कपट, चारी ल छाँड़थे
ओकरे पायत अँधरौटी धरे कस हपटाये
2
उत्ती के सुरुज ल सबो जल चघाथें
बने - बने के त सबो गुन गाथें
बिगड़े बखत सिरिफ ऊही काम आथे
3
मंगनी म घलो माँगत हें मया
दुकान म बेचावत हे दया
बेचरी के जिनिस होगे लाज, सरम, हया
4
मनखे के भीड़ ले गाँव - सहर बनाथे
ऊँच - ऊँच बिल्डिंग, तरी - ऊपर बनाथे
मयारु के मया ले एक ठन सुग्घर घर बनाथे
5
धन अऊ दोगानी एक कोती
सरग के सुख, पन्ना, हीरा मोती
मोर दाई के आसिरबाद एक कोती
6
भुँइया म मढ़ा दे हाथ के हथियार ल
जीत म बदलदे ये हार ल
सरग बनादे ये संसार ल
1
झूठ ह बिन पाँव उत्ता - धुर्रा भागथे
पाछू म छल , कपट, चारी ल छाँड़थे
ओकरे पायत अँधरौटी धरे कस हपटाये
2
उत्ती के सुरुज ल सबो जल चघाथें
बने - बने के त सबो गुन गाथें
बिगड़े बखत सिरिफ ऊही काम आथे
3
मंगनी म घलो माँगत हें मया
दुकान म बेचावत हे दया
बेचरी के जिनिस होगे लाज, सरम, हया
4
मनखे के भीड़ ले गाँव - सहर बनाथे
ऊँच - ऊँच बिल्डिंग, तरी - ऊपर बनाथे
मयारु के मया ले एक ठन सुग्घर घर बनाथे
5
धन अऊ दोगानी एक कोती
सरग के सुख, पन्ना, हीरा मोती
मोर दाई के आसिरबाद एक कोती
6
भुँइया म मढ़ा दे हाथ के हथियार ल
जीत म बदलदे ये हार ल
सरग बनादे ये संसार ल
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