डॉ. कौशलेन्द्र
कण - कण में बिखरा है जिसके
भोला - भाला प्यार
बस्तर - बस्तर उसे पुकारे
यह सारा संसार
इमली के पत्ते प लिखकर
दिया है उसने केवल प्यार
भरकर भी ना पोथी - पोथी
हो जाए जिसका विस्तार।
वन महुआ, आँगन महुआ
तन महुआ, मन महुआ
धरती महुआ, अम्बर महुआ
महुआई है चाल।
टंगिया छाता और लंगोटी
टेढ़ी - मेढ़ी पथरीली पगडंडी
मस्त - व्यस्त हो बढ़ता जाये
नंगा - भूखा निर्मल प्यार।
तुमसा मेरा रूप नहीं है
तन उजला मन कृष्ण नहीं है
छलना मत मेरे प्यार को प्यारे
दोने भर सल्फी की आड़
पत्थर भी कोमल पाती से
यहाँ है पाता प्यार - दुलार
पत्थर से टकरा कर पानी
हँसता कहता - कर लो प्यार
चहंक - चहंक कर कहती मैना
बाँटो सबको केवल प्यार,
भूल न जाना
मड़ई आना
फिर तुम अगली बार।
ग्राम पोष्ट - सम्बलपुर (भानुप्रतापुर)
जिला - कांकेर ( छग.)
कण - कण में बिखरा है जिसके
भोला - भाला प्यार
बस्तर - बस्तर उसे पुकारे
यह सारा संसार
इमली के पत्ते प लिखकर
दिया है उसने केवल प्यार
भरकर भी ना पोथी - पोथी
हो जाए जिसका विस्तार।
वन महुआ, आँगन महुआ
तन महुआ, मन महुआ
धरती महुआ, अम्बर महुआ
महुआई है चाल।
टंगिया छाता और लंगोटी
टेढ़ी - मेढ़ी पथरीली पगडंडी
मस्त - व्यस्त हो बढ़ता जाये
नंगा - भूखा निर्मल प्यार।
तुमसा मेरा रूप नहीं है
तन उजला मन कृष्ण नहीं है
छलना मत मेरे प्यार को प्यारे
दोने भर सल्फी की आड़
पत्थर भी कोमल पाती से
यहाँ है पाता प्यार - दुलार
पत्थर से टकरा कर पानी
हँसता कहता - कर लो प्यार
चहंक - चहंक कर कहती मैना
बाँटो सबको केवल प्यार,
भूल न जाना
मड़ई आना
फिर तुम अगली बार।
ग्राम पोष्ट - सम्बलपुर (भानुप्रतापुर)
जिला - कांकेर ( छग.)
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