- जितेन्द्र कुमार ' सुकुमार ' -
खामोश हर मन्जर है साहब
सरसब्ज़ जमीं बन्जर है साहब
जल रही है शबनम की बूंदे
प्यासा यहाँ समन्दर है साहब
जो उछल रहा है हर तरफ
वो इंसाँ नहीं बन्दर है साहब
संभल कर रहना इस इलाकों में
ये खूनी खन्जर है साहब
जो उजाड़ कर रख दे अशियाना
वो हवा नहीं बवण्डर है साहब
पता : साहित्यकार, उदय आशियाना, चौबेबांधा राजिम
जिला - गरियाबंद( छ.ग.) - 493885
खामोश हर मन्जर है साहब
सरसब्ज़ जमीं बन्जर है साहब
जल रही है शबनम की बूंदे
प्यासा यहाँ समन्दर है साहब
जो उछल रहा है हर तरफ
वो इंसाँ नहीं बन्दर है साहब
संभल कर रहना इस इलाकों में
ये खूनी खन्जर है साहब
जो उजाड़ कर रख दे अशियाना
वो हवा नहीं बवण्डर है साहब
पता : साहित्यकार, उदय आशियाना, चौबेबांधा राजिम
जिला - गरियाबंद( छ.ग.) - 493885
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