इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख : साहित्य में पर्यावरण चेतना : मोरे औदुंबर बबनराव,बहुजन अवधारणाः वर्तमान और भविष्य : प्रमोद रंजन,अंग्रेजी ने हमसे क्या छीना : अशोक व्यास,छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति का पर्व : हरेली : हेमलाल सहारे,हरदासीपुर दक्षिणेश्वरी महाकाली : अंकुुर सिंह एवं निखिल सिंह, कहानी : सी.एच.बी. इंटरव्यू / वाढेकर रामेश्वर महादेव,बेहतर : मधुसूदन शर्मा,शीर्षक में कुछ नहीं रखा : राय नगीना मौर्य, छत्तीसगढ़ी कहानी : डूबकी कड़ही : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’,नउकरी वाली बहू : प्रिया देवांगन’ प्रियू’, लघुकथा : निर्णय : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’,कार ट्रेनर : नेतराम भारती, बाल कहानी : बादल और बच्चे : टीकेश्वर सिन्हा ’ गब्दीवाला’, गीत / ग़ज़ल / कविता : आफताब से मोहब्बत होगा (गजल) व्ही. व्ही. रमणा,भूल कर खुद को (गजल ) श्वेता गर्ग,जला कर ख्वाबों को (गजल ) प्रियंका सिंह, रिश्ते ऐसे ढल गए (गजल) : बलबिंदर बादल,दो ग़ज़लें : कृष्ण सुकुमार,बस भी कर ऐ जिन्दगी (गजल ) संदीप कुमार ’ बेपरवाह’, प्यार के मोती सजा कर (गजल) : महेन्द्र राठौर ,केशव शरण की कविताएं, राखी का त्यौहार (गीत) : नीरव,लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की नवगीत,अंकुर की रचनाएं ,ओ शिल्पी (कविता ) डॉ. अनिल कुमार परिहार,दिखाई दिये (गजल ) कृष्ण कांत बडोनी, कैलाश मनहर की ग़ज़लें,दो कविताएं : राजकुमार मसखरे,मंगलमाया (आधार छंद ) राजेन्द्र रायपुरी,उतर कर आसमान से (कविता) सरल कुमार वर्मा,दो ग़ज़लें : डॉ. मृदुल शर्मा, मैं और मेरी तन्हाई (गजल ) राखी देब,दो छत्तीसगढ़ी गीत : डॉ. पीसी लाल यादव,गम तो साथ ही है (गजल) : नीतू दाधिच व्यास, लुप्त होने लगी (गीत) : कमल सक्सेना,श्वेत पत्र (कविता ) बाज,.

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

फिर हिटलर


प्रोफेसर थानसिंह वर्मा

फिर हिटलर के कदमों की आहट है
हिटलर तब आया था
लोकतंत्र की हत्या के लिए
जर्मन संसद पर हमला 
दोष विरोधियों के सर
दे विकास का वास्ता 
किया सत्ता पर अधिकार
किया यहूदियों का संहार 
फिर धावा कमेरों पर
मार्क्‍स , लेनिन, समाजवाद पर
गल्फस्ट्रीम की गर्मधाराएं भले नहीं मुड़ी
हिटलर के लिए / चुप रह साथ दिए
टैंक - मोर्टर लंदन - वाशिंगटन के
कमेरों की हड्डियां बने बज्र
हिटलर के लिए बना वाटरलू लेनिनग्राद.
अब फिर हिटलर के
कदमों की आहट है
दसों दिशाओं, दसमुख से वृन्दगान
ओ हिटलर ! विकास  पुरुष
एजेण्डा दिल्ली
खाद - पानी, अयोध्या,काशी, मथुरा
रसद् वाशिंगटन का
निशाने पर फिर लोकतंत्र
गांधी, अम्बेडकर, संविधान, समाजवाद
यहुदियों की जगह मुसलमान
इसाई, दलित, आदिवासी, कमेरे ( मजदूर )
देखना है बर्लिन से दिल्ली का
फासला कैसे तय करता है हिटलर,
क्या कमेरों की हड्डियां फिर बनेंगे बज्र
और दिल्ली वाटरलू ?

पता 
शांतिनगर, गली नं. 2
राजनांदगांव [छत्तीसगढ़]
मोबाईल : 9406272857  

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