आनन्द तिवारी पौराणिक
सोंधी माटी गाँव की
फिर आई याद
बरसों बाद
छू - छूव्वल, गिल्ली डंडे
गोल - गोल रंगीन कंचे
अमराई में आम तोड़ना
कागज की नाव, नदी में छोड़ना
चिड़ियों सी चहकने की साध
बरसों बाद
चुम्मा अम्मा का
हुम्मा बछिये का
नानी के हाथों भुने भुट्टे
भइया के दिए पैसे छुट्टे
मंदिर में कीर्तन, शंखनाद
बरसों बाद
शाला में टंगी पेंडुलम घड़ी
गुरुजी की वह बड़ी छड़ी
जलसे, मेले - ठेले, हाट
खुशियों की नहीं तादाद
बरसों बाद
दीदी की लाई गठरी
स्वाद भरी मिठाई - मठरी
चिड़ियों का कलरव बंसवारे
सोनकिरन सुबह पांव पखारे
हर दिन था आबाद
बरसों बाद
वह निश्छल, अबोध बचपन
कितना पावन, तन - मन
आँखों में फिर नर्त्तन करता
अतीत को वर्तमान में करता
प्रेम, सुलह, नहीं विवाद
बरसों बाद
पता -
श्रीराम टाकीज मार्ग,
महासमुन्द (छ.ग.) 549
3445

फिर आई याद
बरसों बाद
छू - छूव्वल, गिल्ली डंडे
गोल - गोल रंगीन कंचे
अमराई में आम तोड़ना
कागज की नाव, नदी में छोड़ना
चिड़ियों सी चहकने की साध
बरसों बाद
चुम्मा अम्मा का
हुम्मा बछिये का
नानी के हाथों भुने भुट्टे
भइया के दिए पैसे छुट्टे
मंदिर में कीर्तन, शंखनाद
बरसों बाद
शाला में टंगी पेंडुलम घड़ी
गुरुजी की वह बड़ी छड़ी
जलसे, मेले - ठेले, हाट
खुशियों की नहीं तादाद
बरसों बाद
दीदी की लाई गठरी
स्वाद भरी मिठाई - मठरी
चिड़ियों का कलरव बंसवारे
सोनकिरन सुबह पांव पखारे
हर दिन था आबाद
बरसों बाद
वह निश्छल, अबोध बचपन
कितना पावन, तन - मन
आँखों में फिर नर्त्तन करता
अतीत को वर्तमान में करता
प्रेम, सुलह, नहीं विवाद
बरसों बाद
पता -
श्रीराम टाकीज मार्ग,
महासमुन्द (छ.ग.) 549
3445
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