अशोक ' अंजुम '
सब अपनी - अपनी किस्मत में
लिक्खी लाचारी जीते हैं,
सच्चे कुढ़ - कुढ़कर मरते हैं
और भ्रष्टाचारी जीते हैं।
जीवन के रस्ते बड़े कठिन
पल - पल भटकन, पल -पल उलझन,
परवत - परवत, जंगल - जंगल
ये किसे ढूँढता फिरता मन
दुनिया वन आदम$खोरों का
और कुशल शिकारी जीते हैं।
ये कैसी भागमभाग मची
ये कैसी आपाधापी है,
जो निकल गया वो साधु हुआ
जो पकड़ा गया वह पापी है,
जो छोटे हैं वे बेबस हैं
बस बड़े मदारी जीते हैं।
वे कालीनों पर चलते हैं
हम साँसों के बंजारे हैं,
हैं खून के छींटों से लथपथ
जो सत्ता के गलियारे हैं,
ये नागों वाली बस्ती है
कुछ इच्छाधारी जीते हैं।
- पता -
सम्पादक : अभिनव प्रयास
गली - 2, चन्द्र विहार कॉलोनी
नगला डालचन्द, क्वारसी बाईपास, अलीगढ़ -202 002
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नगला डालचन्द, क्वारसी बाईपास, अलीगढ़ -202 002
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